ऋषि महाजन/नूरपुर। पंचायत समिति सदस्यों (बीडीसी सदस्य) और पंचायत प्रधानों के बीच तालमेल की कमी व पंचायत समिति की बैठकों में विभागीय कर्मचारियों की गैरहाजिरी पंचायत में विकास कार्य में रोड़ा बन रही है। यह हम नहीं कह रहे बल्कि यह कहना है पंचायत समिति नूरपुर के सदस्यों का। पंचायत समिति नूरपुर की त्रैमासिक बैठक में भी इसको लेकर सदस्यों ने रोष जताया।
सदस्यों का कहना है कि समिति बजट तो पहले से बेहतर हुआ है, लेकिन पंचायत समिति सदस्य (BDC) को काम करवाने की आजादी नहीं है। काम को लेकर पंचायत समिति सदस्य को सही प्रकार से सूचना भी नहीं मिल पाती है। वित्तीय पावर पंचायत प्रधान के पास होने के चलते पंचायत समिति सदस्य इंतजार के सिवा कुछ नहीं कर सकते हैं।
क्या कहना है पंचायत समिति सदस्यों का
पंचायत समिति सदस्य सदवां राकेश कुकी ने कहा कि त्रैमासिक बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में तीन माह के कार्यकाल का ब्यौरा और आगे की रणनीति पर चर्चा हुई। बीडीसी में बजट आदि पहले से बेहतर हुए हैं, लेकिन पंचायत समिति सदस्यों को काम करवाने की आजादी नहीं है। वित्तीय शक्तियां सारी प्रधान के पास होती हैं। पंचायत समिति सदस्यों की किसी काम को जल्दी करवाने की इच्छा होती है तो जब तक पंचायत प्रधान काम में दिलचस्पी नहीं लेगा, तब तक पंचायत समिति सदस्य कुछ नहीं कर सकता है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि पंचायत समिति सदस्य को भी उतनी महत्ता दी जाए।
पंचायत समिति सदस्य सिमवली रोजी जमवाल का कहना है कि समिति फंड का पैसा अच्छा आ रहा है। पैसा पंचायत में समय पर जा रहा है। पंचायतों में जब पैसा चला जाता है तो प्रधान और सचिव समय पर काम नहीं करवाते हैं। सभी बीडीसी में रोष है कि पंचायत के प्रधान और सचिव काम को लेट करते रहते हैं। सरकार से मांग है कि समिति फंड समय पर खर्चने के लिए पंचायत प्रधानों और सचिव को निर्देश जारी किए जाएं।
पंचायत समिति सदस्य छतरौली हरदेव सिंह ने कहा कि समिति फंड से जो भी कार्य सेल्फ में डाला जाता है, उसकी सही तरीके से सूचना नहीं होती है। प्रधान अपनी मर्जी से काम करवाते हैं। समिति सदस्यों और पंचायत प्रधानों में तालमेल न होना मुख्य कारण है।
वहीं, पंचायत समिति सदस्यों और पंचायत प्रधानों में तालमेल की कमी के चलते दिक्कत आ रही है। साथ ही पंचायत समिति की बैठकों में संबंधित विभागों के कर्मचारियों की गैरहाजिरी से भी सदस्यों में रोष है। पंचायत समिति सदस्यों का रोष है कि जब भी उनकी मीटिंग होती है तो कई विभागों के कर्मचारी मीटिंग में हिस्सा नहीं लेते हैं, जिससे उनकी समस्या सुनने वाला कोई नहीं होता और वे अपनी समस्या को प्रभावी ढंग से नहीं उठा पाते हैं।
बीडीओ नूरपुर अशोक कुमार ने भी माना कि मीटिंग में संबंधित विभागों के कर्मचारियों के न आने से समिति सदस्यों में रोष है। क्योंकि वे अपनी समस्याओं को उन संबंधित विभागों के आगे रख नहीं पाते हैं। समिति सदस्यों और पंचायत प्रधानों के बीच तालमेल को लेकर उन्होंने कहा कि शीघ्र ही पंचायत प्रधानों, पंचायत सेक्रेटरी और समिति सदस्यों में तालमेल मिलाकर कार्यों को शीघ्र करवाने का प्रयास करेंगे।
इसके लिए पंचायत प्रधानों और सचिवों से बैठक की जाएगी। बैठक में कार्यों का ब्यौरा लिया जाएगा। इसके बाद पंचायत समिति सदस्यों की बैठक कर उन्हें जानकारी दी जाएगी।
बता दें कि पंचायत समिति नूरपुर की त्रैमासिक बैठक का आयोजन हुआ। बैठक में पंचायत समिति अध्यक्ष कुसुम देवी और उपाध्यक्ष रछपाल सिंह पठानिया और सदस्य मौजूद थे। बैठक में तीन माह के कामकाज का ब्यौरा रखा गया और आगे की रणनीति बनाई गई।