ऋषि महाजन/जसूर। नूरपुर तहसील के अंतर्गत अपनी अलग पहचान बना चुका व्यापारिक कस्बा जसूर आज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। कस्बा जसूर में व्यापारियों की समस्याएं कम होती नहीं दिख रही हैं। जसूर बाजार में समस्याओं का अंबार है। वहीं, फोरलेन का कार्य आग में घी डालने जैसा काम कर रहा है। व्यापारी तो व्यापारी बाजार में आने वाले ग्राहक भी परेशान हैं। खासकर महिला और बुजुर्ग ग्राहकों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ा रहा है।
यहां न तो व्यापारियों के लिए कोई शौचालय की सुविधा है और ना ही बस स्टैंड है। ना ही कोई स्ट्रीट लाइट का प्रबंध है और न की कोई पार्किंग व्यवस्था है। वहीं, न ही आज तक कोई व्यापार मंडल बना और न ही कोई अध्यक्ष बन पाया है। स्थाई अध्यक्ष ना होने ले बाजार की समस्याओं को सरकार के समक्ष रखना बहुत बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। जो थोड़ी सी कसर रह गई थी वह फोरलेन के कार्य ने पूरी कर दी। फोरलेन के कार्य चलते भी व्यापारियों व ग्राहकों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सड़क पर उड़ती धूल मिट्टी परेशानी बढ़ा रही है, इससे आना-जाना मुश्किल हो गया है।
बाजार में जगह-जगह गंदगी के ढेर लगे हुए हैं और नालियां बंद पड़ी हुई हैं। निकासी का कोई प्रबंध नहीं है।सबसे अधिक दिक्कत बाजार में महिलाओं को आती है, जिनके लिए कोई भी जन सुविधा नहीं है। पूर्व विधायक अजय महाजन ने लोगों की सुविधा के लिए सुलभ शौचालय तो खोला था, लेकिन वह भी फोरलेन की भेंट चढ़ गया।
जसूर बाजार में बस स्टैंड की भी दरकार है। हालांकि, 19 नवंबर, 2018 को पूर्व भाजपा सरकार में वन मंत्री रहे राकेश पठानिया ने ने तत्कालीन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से जसूर बाजार में अंतर्राज्यीय बस अड्डे का शिलान्यास करवाया था, लेकिन अंतर्राज्यीय तो दूर ढंग का लोकल बस अड्डा भी नहीं बन सका है। उस वक्त तत्कालीन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बस स्टैंड के निर्माण के लिए पहली किस्त 50 लाख देने की घोषणा की थी, उसके पश्चात पूर्व परिवहन मंत्री गोविंद ठाकुर ने भी अपने जसूर दौरे के दौरान 50 लाख देने की घोषणा की थी।
भाजपा का पांच वर्ष का कार्यकाल भी बीत गया, लेकिन वहां एक ईंट भी नहीं लग सकी। ऐसे में जसूर के लोग आज भी ठगा ठगा सा महसूस कर रहे हैं। आज भी यह शिलान्यास पट्टिका लोगों को मुंह चिढ़ा रही है। दिनेश जसरोटिया, सुशील कुमार पठानिया, रघु प्रसाद , मनोज कुमार, रणदीप व अश्विनी शर्मा आदि ने कहा कि जसूर आज भी उक्त समस्या से जूझ रहा है, लेकिन अफसोस इन समस्याओं को उठाने वाला कोई नहीं है, ना ही इनका आज तक हल किया गया है।