रेखा चंदेल /झंडूता। उतरी भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल बाबा बालकनाथ मंदिर दियोटसिद्ध के महंत श्री श्री 1008 राजेंद्र गिरी जी महाराज द्वारा महंत आवास पर दो दिवसीय सामूहिक रूप से बटुक यज्ञोपवीत उपनयन संस्कार कार्यक्रम का आयोजन बड़ी धूमधाम व हर्षोल्लास के साथ किया। इसका उद्देश्य वैदिक संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए भारतवर्ष की वैदिक संस्कृति एवं वर्तमान समय में लुप्त होती वैदिक संस्कृति को बढ़ावा देना रहा। आयोजन विद्वानों द्वारा वैदिक मंत्रों, हनुमान चालीसा व अन्य मंत्रों के उच्चारण के साथ विधिवत रूप से आयोजित किया गया।
इस यज्ञोपवीत उपनयन संस्कार कार्यक्रम में लगभग 50 बटुकों द्वारा सर्वप्रथम मुंडन संस्कार, कर्ण भेद संस्कार, जनेऊ धारण करके यज्ञोपवित की रस्म, सावित्री दीक्षा, वेदारंभ, एवं भिक्षा रस्म का आयोजन किया। प्रसिद्ध विद्वान एवं प्राचार्य धनी राम संगर, मुख्य पुजारी शिव मंदिर बचछरेटु पंडित सुभाष चंद, प्रसिद्ध भागवताचार्य आचार्य पंडित प्रमोद पुंज (नघियार वाले), पंडित सुरेश कुमार, पंडित अनिल कुमार, पंडित, बलवीर शर्मा ने सिद्धपीठ बाबा बालकनाथ जी के आशीर्वाद एवं श्री श्री 1008 महन्त राजेंद्र गिरी जी महाराज के कुशल मार्गदर्शन से इस समारोह में सभी बटुकों को दीक्षा दी।
इस अवसर पर शाह तलाई में स्थानीय जनता एवं व्यापार मंडल द्वारा सभी बटुकों का विशेष स्वागत करने के पश्चात उन्हें भिक्षा रस्म भी अदा करने में अहम भूमिका निभाई। शाह तलाई (छाछतलाई) में स्थित मां रत्नों, बाबा बालकनाथ जी मंदिर में स्थापित बारह वर्ष की रोटी एवं लस्सी को बाबा बालकनाथ जी ने चिमटा मार कर मां रत्नों को सौंपा था, जहां पर बाबा बालकनाथ जी ने बारह वर्ष तक बिना अन्न जल ग्रहण किए तपस्या की थी।
तपस्या की तपोस्थली, गुरुनाझाडी एवं पवित्र गुफा श्री सिद्ध बाबा बालकनाथ मंदिर दियोटसिद्ध के दर्शन के बाद बटुकों द्वारा महंत निवास पर आयोजित हवन-यज्ञ में मंत्रों उच्चारण के साथ नाम दाम की पूरी प्रक्रिया करके पूर्ण आहुति अग्नि देवता को समर्पित करके यज्ञोपवीत संस्कार के महायज्ञ का समापन समारोह किया। तत्पश्चात सभी बटुकों के परिजनों एवं विद्वानों ने बाबा जी के भंडारे का प्रसाद ग्रहण किया। इस समारोह को सफल आयोजन के लिए क्षेत्र की जनता ने सिद्ध बाबा बालकनाथ जी के महंत श्री श्री 1008 राजेन्द्र गिरी जी महाराज व विद्वानों का अभार व्यक्त किया।