नादौन। हमीरपुर जिला का नादौन एक ऐतिहासिक शहर है जहां की समृद्ध पर्यटन संस्कृति व सुंदरता के मद्देनजर “आए नादौन जाए कौन” की कहावत पड़ी व प्रसिद्ध सूफी कवि बुल्ले शाह ने भी अपनी कविताओं में स्थान दिया था।
अब मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के मार्गदर्शन में शहर को पर्यटन हब बनाने के लिए कई परियोजनाएं शुरू की गई हैं। पर्यटन विभाग द्वारा नादौन शहर में पांच सितारा होटल और रिवर राफ्टिंग केंद्र स्थापित किया जा रहा है, जबकि पंचायती राज विभाग द्वारा वन विभाग के माध्यम से हड़ेटा में ईको-टूरिज्म पार्क का निर्माण किया जा रहा है।
वहीं, मुख्यमंत्री के निर्देश पर विकास खंड की ग्राम पंचायतों ने भी पर्यटन विकास और ऐतिहासिक जल स्त्रोतों के पुनरुद्धार में अहम योगदान दिया है। ग्राम पंचायत चोडू में व्यास के किनारे पताजी पत्तन स्थल पर 12 लाख रुपए की लागत से खूबसूरत व्यास धाम का विकास किया गया।
ग्राम पंचायत फस्टे में पांडवों के समय के निर्मित श्री बिल्वकालेश्वर मंदिर के समीप 15 फीट ऊंचा कैलाश पर्वत का प्रतिरूप , 22 फीट ऊंची गंगाधरेश्वर शिव की मूर्ति और लगभग 40 लाख रूपए की लागत से शानदार पार्क स्थापित किया गया है।
ग्राम पंचायत गौना द्वारा पखरोल में लगभग 12 लाख रूपए की लागत से पुराने तालाब का जीर्णोद्धार कर भव्य पार्क बनाया गया है व अब दिव्य वैकुंठ धाम तैयार किया जा रहा है जिसमें शेषनाग पर लेटे भगवान विष्णु की 14 फीट लंबी मूर्ति व सभी 10 अवतारों की मूर्तियां लगेंगी।
ग्राम पंचायत अमलेहड के भवड़ा में गुगा धाम का निर्माण किया गया है, जिसमें 20 फीट ऊंची गुगा महाराज की रथ पर सवार मूर्ति स्थापित की जाएगी जो अपनी तरह की पहली होगी।ग्राम पंचायत जलाडी द्वारा लगभग 200 वर्ष पुरानी ऐतिहासिक नौण का पुनरुद्धार कर उसका सौंदर्यीकरण किया गया है। ग्राम मझियार में भी पुराने तालाब का जीर्णोद्धार कर सुंदर पार्क बनाया जा रहा है।
खंड विकास अधिकारी निशांत शर्मा ने बताया कि ग्राम पंचायतों द्वारा मनरेगा व वित्त आयोग की राशियों की कन्वर्जेंस से ये कार्य करवाए गए हैं। इन पहलों से न सिर्फ प्राचीन जल स्त्रोत पुनर्जीवित हुए बल्कि ग्रामीण पर्यटन विकास की दिशा में भी अहम कार्य हुए है।
इससे न सिर्फ स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी, स्थानीय युवाओं व महिला स्वयं सहायता समूहों के लिए रोजगार के साधन सृजित होंगे और नादौन पर्यटन पहचान निखरेगी।