ऋषि महाजन/नूरपुर। दशहरी आम अब घाटे का सौदा बनता जा रहा है। आम उत्पादकों को दशहरी आम के अच्छे दाम नहीं मिल पा रहे हैं। इससे आम उत्पादकों के चेहरे पर चिंता की लकीरें हैं। आखिर ऐसा क्यों हुआ कि आम फल की जान दशहरी आम के अच्छे दाम नहीं मिल पा रहे हैं?
इसके पीछे क्या कारण हैं? इस बारे क्या कहना है जिला कांगड़ा के क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र, जाच्छ के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. राजेश कलेर का हम आपको को बताते हैं।
प्रधान वैज्ञानिक डॉ. राजेश कलेर ने खुलासा किया कि दशहरी आम के सही दाम न मिलने का मुख्य और बड़ा कारण आम का एक मुश्त ( एक दम) पक जाना रहता है। यह आम कम समय में एक दम पक जाता है और एक ही समय में भारी मात्रा में बाजारों में पहुंच जाता है, जिस कारण दशहरी आम के दाम फल उत्पादकों को नहीं मिल पाते हैं।
प्रधान वैज्ञानिक डॉ. राजेश कलेर ने सुझाव दिया कि दशहरी आमों के अच्छे दाम के लिए अच्छी मार्किट एवं अच्छी मंडी का चयन करना चाहिए। वहीं, उन्होंने किसानों को पछेती आम की किस्में लगाने की भी सलाह दी है। उनका कहा है कि आम की अगेती किस्म दशहरी का तुड़ान जून के दूसरे सप्ताह से शुरू हो गया था, जिले की प्रमुख सब्जी मंडी जसूर सहित प्रदेश व अन्य राज्य की मंडियों में भेजा जा रहा है।
मगर शुरुआती दौर में दशहरी आम का मूल्य 15 से लेकर 24 रुपये प्रति किलो मंडियों में मिल रहा है, जिससे किसान एवं व्यापारी काफी परेशान हैं। वर्तमान में मंडियों में अब पछेती किस्में लंगड़ा, चौसा, आम्रपाली, फंजली, मलका व राम केला आने शुरू होने लगी हैं और 35 से 45 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। वर्तमान में पछेती किस्मों का तुड़ान अब शुरू होने लगा है। किसानों को ये पछेती किस्मों को भी लगाना चाहिए। यह स्वाद में भी और दाम में भी अच्छी होती हैं।