मंडी। जिला मंडी स्थित सरदार पटेल विश्वविद्यालय की दूसरी अकादमिक परिषद की बैठक (Academic Council Meeting) बुधवार को हुई। यह बैठक शैक्षणिक नीतियों, शिक्षा सम्बन्धी रणनीतिक पहलों और आगामी कार्यक्रमों के संबंध में प्रस्तावित और पूरक एजेंडे पर चर्चा के लिए बुलाई गई। बैठक की अध्यक्षता कुलपति प्रोफेसर ललित कुमार अवस्थी ने की और इसमें अकादमिक परिषद के सदस्यों ने भाग लिया।
बैठक के अध्यक्ष प्रो. अवस्थी ने कहा कि बहुत से प्रासंगिक शैक्षणिक मुद्दे हैं जिन पर संस्थान और छात्रों के सर्वोत्तम हित में अकादमिक परिषद द्वारा तत्काल विचार करने की आवश्यकता है। प्रो.अवस्थी ने कहा कि अकादमिक परिषद के समक्ष उठाया गया पहला मुद्दा पीजीडीसीए पाठ्यक्रम में क्रेडिट प्रदान करने का था।
इसके अलावा उन्होंने बताया कि पीजीडीसीए छात्रों को उच्च अध्ययन के लिए प्रवेश में समस्या का सामना करना पड़ रहा है, जैसे कि एमसीए एसपीयू मंडी प्रवेश के लिए के न्यूनतम क्रेडिट की आवश्यकताएं हैं। इसलिए पीजीडीसीए के छात्रों के सर्वोत्तम हित में, दो सेमेस्टर के पीजीडीसीए पाठ्यक्रमों में 47 क्रेडिट देने का निर्णय लिया गया।
प्रो.अवस्थी ने आगे बताया कि आजकल कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग अत्याधुनिक तकनीक है और इसलिए, एसपीयू मंडी में कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग में पीएचडी शुरू करने की आवश्यकता है। कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग में पीएचडी शुरू करने का निर्णय लिया गया।
प्रो.अवस्थी ने बताया कि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री. शिव प्रताप शुक्ला ने विश्वविद्यालय की अपनी यात्रा के दौरान हमें विश्वविद्यालय की आत्मनिर्भरता के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए अवगत कराया था और ए.सी. बैठक में स्व-वित्तपोषण मोड पर एकीकृत कानून कार्यक्रम और बैचलर ऑफ एजुकेशन शुरू करने का निर्णय लिया गया था। जिससे विश्वविद्यालय को अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा।
इसके अलावा उन्होंने कहा कि कैरियर एडवांसमेंट स्कीम को लागू करने के लिए विश्वविद्यालय संकाय काफी लंबे समय से मांग कर रहा है। प्रो.अवस्थी ने बताया कि अकादमिक परिषद ने सैद्धांतिक रूप से यूजीसी द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुसार एसपीयू के संकाय के लिए कैरियर उन्नति योजना लागू करने का निर्णय लिया है।
प्रो.अवस्थी ने बताया कि एनईपी-2020 को पूरे भारत में लागू किया गया और कई विश्वविद्यालय एनईपी-2020 को लागू करने की प्रक्रिया में हैं। एसपीयू मंडी ने एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट भी लागू किया है, लेकिन वर्तमान क्रेडिट और प्रमोशन मानदंडों में विरोधाभास है, जिसके परिणामस्वरूप ड्रॉपआउट अनुपात बढ़ गया है।
प्रो.अवस्थी ने बताया कि छात्रों के ड्रॉपआउट को कम करने के लिए अकादमिक परिषद द्वारा यह निर्णय लिया गया कि प्रथम वर्ष और द्वितीय वर्ष के तीन पाठ्यक्रमों तक दोबारा परीक्षा देने वाले छात्रों को अगली उच्च कक्षा में जारी रखने की अनुमति दी जाएगी और इन तीन पाठ्यक्रमों को 5 वर्ष की समय सीमा में उत्तीर्ण करने की अनुमति दी जाएगी।
इससे पहले छात्रों को तीन विषयों में दोबारा परीक्षा देने से पहले अगली उच्च कक्षा में पदोन्नत नहीं किया जाता था जो उच्च ड्रॉपआउट का कारण था। पहले की प्रैक्टिस में उन्हें दोबारा परीक्षा देने के लिए दो मौके मिलते थे और अगर वे दो मौकों में असफल हो जाते थे तो उनके पूरे उत्तीर्ण विषय भी अमान्य मान लिए जाते थे, जिसके परिणामस्वरूप उनके दो साल बर्बाद हो जाते थे नए प्रवेश की भी आवश्यकता होती थी और पहले वर्ष में फिर से प्रवेश लेना पड़ता था तथा इस दौरान छात्रों द्वारा पास किये गए विषय के क्रेडिट भी निरस्त हो जाते थे जोकि UGC द्वारा लागू की गए academic bank of credit (ABC) के अनुरूप नहीं था ।
अब छात्रों के पास किए विषयों के क्रेडिट निरस्त नहीं होंगे। प्रो.अवस्थी ने बताया कि इस निर्णय से छात्रों में शिक्षा ग्रहण करने की निरंतरता बनी रहेगी इस तरह विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा कॉलेजों से छात्रों की ड्रॉपआउट दर को कम करने में मदद करेगा।
प्रो. अवस्थी ने बताया कि नवप्रवर्तन एवं रचनात्मकता के लिए शोध अत्यंत आवश्यक है। इसे ध्यान में रखते हुए, एसपीयू ने नई अनुसंधान नीति तैयार की है जो बाहरी वित्त पोषित अनुसंधान परियोजनाओं और पेटेंट को बढ़ाने को बढ़ावा देगी। प्रो.अवस्थी ने बताया कि विश्वविद्यालय संकाय के बाह्य वित्त पोषित परियोजनाओं के लिए बाह्य वित्त पोषित परियोजनाओं से समान अनुदान प्रदान करेगा और रुपये भी प्रदान करेगा।
प्रत्येक संकाय को रूपए 20,000 रुपए प्रत्येक पेटेंट के लिए जो उसके द्वारा दायर किया जाएगा दिए जायेंगे। प्रो.अवस्थी ने बताया कि इस शोध नीति को विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद द्वारा सैद्धांतिक रूप से अनुमोदित किया गया है। कॉलेज शिक्षकों के लिए पीएचडी उम्मीदवारों की निगरानी को सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दी गई।
इसके लिए पीवीसी की अध्यक्षता, में डीएसडब्ल्यू, डीन रिसर्च, डीएए और डीन प्लानिंग के साथ एक समिति का गठन किया गया जो अपनी रिपोर्ट अकादमिक कौंसिल को सौंपेगे साथ ही रसायन विज्ञान के पीएचडी पाठ्यक्रम को भी अकादमिक परिषद द्वारा अनुमोदित किया गया।
स्पॉट एजेंडा आइटम के दौरान यूजीसी के नए नियमों के अनुसार वनस्पति विज्ञान के पीएचडी पाठ्यक्रम पर चर्चा की गई और अनुमोदित किया गया।
प्रो.अवस्थी ने बताया कि एसपीयू के छात्रों के पक्ष में एक और निर्णय लिया गया है जिसमें पुनर्मूल्यांकन अंकों को अंतिम रूप देने में संशोधन पर चर्चा की गई और यह निर्णय लिया गया कि यदि पुनर्मूल्यांकन के बाद अंकों में 10% से अधिक बदलाव होता है तो अधिकतम दो अंको का औसत दिया जायेगा।
यदि पुनर्मूल्यांकन के बाद अंक उत्तीर्ण अंकों से कम हो जाते हैं तो न्यूनतम उत्तीर्ण अंक दिए जाएंगे। रिजल्ट स्टेटस पास से फेल में नहीं बदला जाएगा। एचजीसीटीए के प्रतिनिधित्व पर भी चर्चा की गई और यह निर्णय लिया गया कि एचजीसीटीए द्वारा उठाए गए विभिन्न मुद्दों पर गौर करने के लिए एक समिति का गठन किया गया।