हिमाचल : पटवारी-कानूनगो के विरोध पर राजस्व मंत्री की बड़ी बात-पढ़ें खबर
ewn24news choice of himachal 12 Oct,2023 4:18 pm
बोले- अधिकारी, कर्मियों को बेवजह परेशान करने का नहीं इरादा
शिमला। बीते दिनों हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र में लैंड रेवेन्यू एक्ट में संशोधन कर राजस्व से जुड़े मामलों में तेजी लाने के लिए समय सीमा निर्धारित करने का कानून बनाया और इसमें देरी होने पर विभागीय कार्यवाही का भी प्रावधान किया गया है। पर इसको लेकर पटवारी व कानूनगो कर्मचारी संगठनों में विरोध है।
संगठनों का तर्क है कि पटवारी -कानूनगो पर अनावश्यक रूप से इतने काम थोप दिए हैं, जिनका मैन्युअल में तय कामों से दूर दूर तक वास्ता नहीं है। हर रोज विभिन्न प्रकार के प्रमाण पत्रों की रिपोर्ट तैयार करने में आधा दिन बीत जाता है, जो किसी अधिकारी की गिनती में नहीं आता है। एक कानूनगो ज्यादा से ज्यादा पांच-सात निशानदेही के मामले एक माह में निपटा सकता है, जबकि उसके पास निशानदेही के प्रतिमाह 30 से 40 मामले आते हैं , ऐसी सूरत में सरकार द्वारा तय की गई समय सीमा में काम कैसे होगा, इस पर विचार किया जाए।
नहीं तो पटवारी-कानूनगो एक दिन में कौन-कौन से काम कितनी मात्रा में करेगा, इस बारे में भी एक बिल लाया जाए। वहीं, राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने मामले में अपनी प्रतिक्रिया दी है और भूमि और राजस्व विभाग से जुड़े कर्मचारियों को आश्वासन दिया है। राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि लैंड रेवेन्यू एक्ट से जुड़े संशोधन को लेकर सरकार कर्मचारियों की मांगों को लेकर विचार करेगी। उन्होंने कहा कि सरकार का किसी भी तरीके से अधिकारी, कर्मचारियों को बेवजह परेशान करने का इरादा नहीं है।
उन्होंने कहा कि हिमाचल में मामले लंबित पड़े रहने के चलते यह फैसला लिया गया। जगत सिंह नेगी ने कहा कि सरकार जल्दी ही राजस्व विभाग में भर्ती प्रक्रिया को भी शुरू करेगी। पटवारी से कानूनगो पदोन्नति प्रक्रिया में रियायत देने के बारे में भी सरकार सोच रही है।
वहीं, हिमाचल पटवारी कानूनगो कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष सतीश चौधरी का कहना है कि विधानसभा के दौरान कानून लाया गया, जिसमें तय समय सीमा के प्रावधान को लेकर कर्मचारियों ने आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा कि विभाग में कर्मचारियों की कमी है। साथ ही फसल के समय, घास के वक्त, बरसात और बर्फ के दौरान नाप नपाई यदि के काम नहीं किए जा सकते हैं।
ऐसे में सरकार समय सीमा कैसे तय करेगी। इसी आशंका को लेकर अधिकारी कर्मचारियों ने सरकार से बात की। इसके बाद अब उन्हें राजस्व मंत्री की ओर से उन्हें आश्वासन दिया गया है। मंत्री के साथ बैठक भी होनी तय है, जिसमें इन मसलों के हल पर विचार विमर्श किया जाएगा।