ऋषि महाजन/नूरपुर। कांगड़ा जिला के नूरपुर उपमंडल के तहत पड़ते सदवां क्षेत्र के हजारों लोगों के साथ धोखा हुआ है। इसे राजनीतिक लाभ के लिए की जल्दबाजी कहें या लोगों की बदनसीबी कि दो साल बाद भी सदवां क्षेत्र के 71 गांव के लोगों को सब तहसील का लाभ नहीं मिल पाया है।
सदवां सब तहसील खुलने के बाद भी लोगों को बड़े क्या छोटे मोटे कार्य के लिए भी नूरपुर के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। सब तहसील सदवां को न तो अपना भवन नसीब हो पाया और न ही स्टाफ मिल सका है। यहां तक कि स्टैम्प वेंडर, डाक्यूमेंट राइटर और टाइपिस्ट तक उपलब्ध नहीं हो सके हैं।
गौरतलब है कि सदवां क्षेत्र की 14 पंचायत के 71 गांव के हजारों लोगों को लाभ देने के लिए 2022 विधानसभा चुनाव से पहले सदवां को सब तहसील का दर्जा दे दिया। मौजूदा हालातों से लगता है कि आनन फानन में सब तहसील खोल दी। सब तहसील अब तक पटवार घर सदवां में चल रही है।
12 में से 11 पद खाली
सब तहसील सदवां में 12 पद मंजूर हैं। इसमें से 11 पद खाली हैं। जूनियर ऑफिस असिस्टेंट आईटी का ही एक पद भरा है। इस वक्त नायब तहसीलदार, सीनियर असिस्टेंट, ऑफिस कानूनगो व जूनियर ऑफिस असिस्टेंट आईटी का एक-एक पद रिक्त है। प्रोसेस सर्वर और चपरासी के दो-दो पद रिक्त हैं। सफाई कर्मचारी का एक पद खाली है। साथ ही दो पद अन्य श्रेणी का रिक्त है।
हालांकि, पहले नायब तहसीलदार का पर भरा था, लेकिन प्रमोशन के बाद यह पद भी रिक्त हो गया।
फिल्ड की बात करें तो चौकीदार के पांच पद रिक्त हैं। कानूनगो और पटवारी के पद भरे हैं।
सदवां सब तहसील के बावजूद लोगों को नूरपुर तहसील के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।
सदवां के तहत पड़ते हाथीधार क्षेत्र सहित कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जिनकी दूरी नूरपुर से 30 से 35 किलोमीटर है।
क्या कहते लोग
सदवां निवासी अशोक शर्मा का कहना है कि चुनाव से पहले जल्दबाजी में सब तहसील खोल दी। सब तहसील का न तो भवन था और न ही स्टाफ था। फर्नीचर और कंप्यूटर आदि भी नहीं थे। जब मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू नूरपुर दौरे पर आए थे तो उन्होंने इस मुद्दे को उनके समक्ष उठाया था। उस वक्त मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू के आदेश के बाद फर्नीचर और कंप्यूटर उपलब्ध करवाया गया था। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की है कि सब तहसील को भवन उपलब्ध करवाया जाए, वहीं स्टाफ की तैनाती की जाए, ताकि लोगों को इसका ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सके।
पंदरेहड़ निवासी उत्तम चंद का कहना है कि रजिस्ट्री आदि काम के लिए नूरपुर जाना पड़ता है। इससे लोगों को दिक्कत होती है। सदवां सब तहसील से लोगों को कोई फायदा तो हुआ नहीं है। अब भी लोगों को नूरपुर जाना पड़ता है। इसलिए सदवां में ही सब सुविधा मिले और स्टैम्प वेंडर भी यही बैठे।
पंदरेहड़ पंचायत के उप प्रधान सिकंदर राणा का कहना है कि सब तहसील पटवार घर में चल रही है। सब तहसील में स्टाफ की कमी है। रजिस्ट्री आदि नूरपुर में होती है। स्टैम्प वेंडर भी नहीं है। लोगों को डबल चक्कर लगाने पड़ते हैं। उन्होंने मांग की है कि सब तहसील में सभी सुविधाएं मिलें।
क्या बोलीं तहसीलदार नूरपुर
तहसीलदार नूरपुर राधिका ने बताया कि सदवां सब तहसील के तहत पड़ते दूरदराज क्षेत्र के लोगों का एक प्रतिनिधिमंडल कुछ दिन पहले उनसे मिला था और सदवां सब तहसील से संबंधित समस्या से अवगत करवाया था। लोगों ने बताया कि सदवां सब तहसील में स्टैम्प वेंडर, टाइपिस्ट, डाक्यूमेंट राइटर के नहीं होने से लोगों को छोटे छोटे काम के लिए भी नूरपुर आना पड़ता है। लोगों की समस्या को लेकर पत्राचार के माध्यम से हायर अथॉरिटी को अवगत करवा दिया गया है।