ऋषि महाजन/नूरपुर। आर्य समाज नूरपुर आज भी समाज सेवा में बढ़ चढ़कर भाग ले रहा है, जिसमें महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। पिछले 5 वर्ष से महिलाओं को मुफ्त सिलाई शिक्षा दी जा रही है। इसके पश्चात उन्हें रोजगार के साथ-साथ स्वरोजगार के अवसर भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
सिलाई सीख रही प्रियंका, संजना, मीनाक्षी और बेबी ने कहा कि उन्हें सिलाई सिखने का शौक है। वहीं, मोनिका व नेहा ने कहा कि वह अपना बुटीक खोलना चाहती हैं। सिलाई सीख रही लड़कियों ने कहा कि उन्हें एक अच्छा प्लेटफार्म मिला है, वह भी नि:शुल्क।
सिलाई केंद्र की कोऑर्डिनेटर वीना महाजन, अलका महाजन व सिलाई अध्यापिका कुसुम ने कहा कि आर्य समाज के सहयोग से अभी तक 100 से अधिक लड़कियां सिलाई सीख चुकी हैं। यह प्रयास निरंतर जारी रहेगा और सभी लड़कियों को निशुल्क सिलाई सिखाई जाती है।
बता दें कि आर्य समाज नूरपुर का इतिहास समाज सेवा, धार्मिक जागरूकता और राष्ट्रीय आंदोलनों में भागीदारी से भरा रहा है। हैदराबाद आंदोलन और हिंदी रक्षा आंदोलन में शाह ताराचंद महाजन ने सक्रिय भाग लिया।
1905 में कांगड़ा में आए भूकंप के समय आर्य समाज नूरपुर ने दवाइयां और अनाज पहुंचाया। 1939 में हैदराबाद के नवाब ने हिंदुओं की पूजा पर रोक लगाई तो आर्य समाज ने आंदोलन किया। नूरपुर से कृष्ण प्रकाश, मोहनलाल पठानिया, बनारसी दास और स्वामी सत्यानंद आंदोलन में शामिल हुए। आंदोलन के लिए धन एकत्र करने में रतन चंद, देवराज और नवीन चंद ने योगदान दिया।
1920 में कांगड़ा जिले में भीषण अकाल पड़ा। अनाज महंगा हो गया। 1 रुपए में मिलने वाला 10 बटी आटा घटकर 1 रुपए में एक बटी रह गया। भूख से महिलाएं और बच्चे बेहाल हो गए। स्वर्गीय ताराचंद, स्वर्गीय लाल बलिराम और जैसी राम ने लाहौर में बैठे सर बक्शी टेकचंद को हालात बताए।
उन्होंने 5,000 रुपए भेजे। इसके बाद अन्य मित्रों से भी धन इकट्ठा कर नूरपुर भेजा। स्वर्गीय ताराचंद की देखरेख में रतन चंद और देवराज पठानकोट से अनाज मंगवाते। 1 रुपए में दो बटी आटा गरीबों को दिया गया। यह सहायता जाति और धर्म से ऊपर उठकर दी गई।
वर्तमान में सीपी महाजन प्रधान हैं। प्रवीण महाजन, सूदन महाजन और डॉ. बीएम गुप्ता,भारत भूषण सक्रिय सहयोग दे रहे हैं। यज्ञशाला का निर्माण, हाल की मरम्मत और निशुल्क सिलाई स्कूल शुरू किया गया। स्वामी वेदप्रकाश के सहयोग से बाघनी में बच्चों को वेद मंत्र सिखाए जा रहे हैं। 10 से 15 बच्चे रोज यज्ञ सीखने आते हैं।