ऋषि महाजन/नूरपुर। वजीर राम सिंह राजकीय महाविद्यालय, देहरी में हिंदी, संस्कृत और अंग्रेजी विभागों ने साहित्यिक क्लब के सहयोग से 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' का आयोजन किया। कार्यक्रम का उद्देश्य 1947 के विभाजन के दौरान हुए भीषण दर्द, लाखों लोगों के बलिदान और विस्थापन को श्रद्धांजलि देना था।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. सुखदेव ने किया, जबकि उद्घाटन हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. नेहा मिश्रा के प्रेरक संबोधन से हुआ। उन्होंने विभाजन की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, साहित्य में उसके चित्रण और भीष्म साहनी, यशपाल, अमृता प्रीतम, खुशवंत सिंह जैसे लेखकों के योगदान पर विस्तार से चर्चा की।
20 छात्र-छात्राओं ने कविताओं, कहानियों और अंश पाठ के जरिए विभाजन की स्मृतियों को जीवंत किया। हिया ने खुशवंत सिंह की 'ट्रेन टू पाकिस्तान' से अंश, अक्षिता ने अमृता प्रीतम की प्रसिद्ध कविता, बाला शर्मा और कंगना ने अपनी कविताओं, शुभम शर्मा ने भीष्म साहनी की 'मलबे का मालिक', और अंकिता राणा ने 'लाजवंती' की मार्मिक प्रस्तुति दी। हर्षिता मिश्रा, जानवी, रेणुका, सेजल पठानिया, रिया धीमान और शगुन ने भी प्रभावशाली प्रस्तुतियां दीं।
मुख्य वक्ता प्राचार्य डॉ. सचिन कुमार ने कहा, “किसी भी त्रासदी के लिए सिर्फ एक व्यक्ति नहीं, बल्कि पूरा समाज जिम्मेदार होता है।” उन्होंने छात्रों से इतिहास से सीख लेकर आपसी सद्भाव और सामाजिक समरसता को मजबूत बनाने का आह्वान किया। उन्होंने मुनव्वर राना की 'मुहाजिरनामा' और मंटो की 'टोबा टेक सिंह' का उल्लेख करते हुए साहित्य की प्रासंगिकता पर जोर दिया।
डॉ. सुखदेव ने चंबा के 'मिंजर मेले' का उदाहरण देकर भारतीय परंपरा में निहित सांप्रदायिक सौहार्द पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में डॉ. मनजीत सिंह, डॉ. शिवानी, सुमन लता और विपिन कुमार सहित 75 छात्रों ने भाग लिया।
समापन पर डॉ. दीपशिखा ने धन्यवाद ज्ञापन दिया और कहा कि साहित्य न केवल इतिहास का दर्पण है, बल्कि भविष्य का मार्गदर्शक भी है। आयोजन एकता, करुणा और शांति के संदेश के साथ संपन्न हुआ।