शिमला। ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने सोमवार को मशोबरा स्थित हिमाचल प्रदेश लोक प्रशासन संस्थान फेयरलॉन (हिपा) में ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग द्वारा क्रियान्वित किए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों एवं योजनाओं की दो दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला के शुभारंभ किया।
कैबिनेट मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने कार्यशाला के दौरान ऑनलाइन परिवार रजिस्टर मॉड्यूल, ऑनलाइन प्रोसिडिंग रजिस्टर मोबाइल एप्लीकेशन, लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम का भी शुभारंभ किया।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि प्रदेश की सभी पंचायतों में पंचायत गठन से ही पंचायत क्षेत्र के लोगों का नाम मैनुअल आधार पर परिवार रजिस्टर में दर्ज किया जाता था, जबकि परिवार रजिस्टर में दर्ज नामों को ऑनलाइन अपलोड करने की ऑनलाइन प्रक्रिया कुछ समय पहले शुरू की गई थी, लेकिन आज से पूरे प्रदेश में ऑनलाइन परिवार रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया लागू कर दी गई है।
अब पंचायती राज विभाग में मैनुअल आधार पर नाम दर्ज करने की प्रक्रिया पूर्ण रूप से बंद कर दी गई है, अब राजस्व विभाग की तर्ज पर पंचायतों में भी परिवार रजिस्टर में नाम दर्ज करना, नाम काटने व किसी भी प्रकार की करेक्शन ऑनलाइन ही की जाएगी, जिसके लिए लोगों को ऑनलाइन दस्तावेज अपलोड करने पड़ेंगे।
ग्रामीण विकास मंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार पंचायती राज संस्थाओं के सुदृढ़ीकरण व उन्हें और अधिक शक्तियां प्रदान करने के लिए कृतसंकल्प है। इसी उद्देश्य से राज्य की सभी ग्राम पंचायतों का समान विकास सुनिश्चित किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश की लगभग 90 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है, जिन्हें शहरों की तरह हर प्रकार की मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाना सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि सरकार के कार्यक्रमों एवं योजनाओं का लाभ शहरों के साथ-साथ गांवों के दूरदराज क्षेत्र के लोगों तक पहुंचे, इसके लिए अधिकारियों एवं कर्मचारियों की अहम भूमिका होती है।
पंचायती राज मंत्री ने कहा कि प्रदेश के विकास के लिए मनरेगा के तहत वर्ष 2022-23 में 28 हजार कार्य मनरेगा के तहत स्वीकृत किए गए थे, जबकि पिछले वर्ष भारी बरसात के कारण पूरे प्रदेश में हुए नुकसान के मद्देनजर सरकार द्वारा बहुत से अन्य कार्यों को भी मनरेगा के तहत करवाने के निर्णयानुसार वर्ष 2023-24 में एक लाख 24 हजार कार्य स्वीकृत किए गए हैं, जिनके निर्माण शुरू करने एवं पूर्ण करने की जिम्मेदारी संबंधित अधिकारियों की होती है।
उन्होंने कहा कि हर वर्ष करोड़ों रुपए की राशि मनरेगा कार्यों के लिए रखी जाती है लेकिन कुछ कार्यों के निर्माण के लिए भूमि चयन व अन्य औपचारिकताएं पूर्ण करने में देरी के चलते यह राशि खर्च नहीं हो पाती।
उन्होंने मनरेगा कार्य एवं एनआरएलएम कार्यों में तेजी लाने के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि वह अपने अधीन इन कार्यों से जुड़े सभी तकनीकी कर्मचारियों के साथ समीक्षा बैठक कर निर्माण कार्यों में तेजी लाएं ताकि शत प्रतिशत राशि खर्च की जा सके।