शिमला। हिमाचल प्रदेश में मानसून की विदाई के बाद सूखे जैसी स्थिति बनी हुई है। प्रदेश में डेढ़ महीने से ज्यादा समय हो गया है लेकिन बारिश की एक बूंद तक नहीं बरसी है। बारिश न होने की वजह से किसानों-बागवानों की चिंताएं बढ़ गई हैं।
गेहूं व अन्य नगदी फसलों की बुवाई के लिए बारिश की आवश्यकता है लेकिन फिलहाल नवंबर महीने में बारिश की कोई संभावना नजर नहीं आ रही है। इससे फसलों के उत्पादन पर खास असर देखने को मिल सकता है।
कृषि विभाग के डिप्टी डायरेक्टर जीत सिंह ठाकुर ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में 80 फ़ीसदी खेती बारिश पर निर्भर करती है। 20 फ़ीसदी में सिंचाई की सुविधा है। उन्होंने बताया कि बारिश न होने की वजह से किसान फसलों की बुवाई नहीं कर पा रहे हैं।
अभी तक 25 से 35 फ़ीसदी भूमि पर सिंचाई की व्यवस्था होने से बुवाई हो पाई है। उन्होंने बताया कि पिछले वर्षों की तुलना में बारिश न होने की वजह से बुवाई नहीं हो पाई है।
नवंबर महीने के अंतिम पखवाड़े में 25 नवंबर तक बारिश होती है तो ज्यादा सूखे का असर देखने को नहीं मिलेगा, लेकिन 25 नवंबर तक बारिश नहीं होती है तो उसे उत्पादन पर जरूर असर देखने को मिल सकता है।
वहीं, बारिश न होने की वजह से किसानों बागवानों की चिंताएं बढ़ गई हैं। किसानों का कहना है कि सूखे की वजह से खेतों में फसले सूख गई है और जिन फसलों की बुवाई अभी की जानी थी उनमें भी विलंब हो रहा है।
बरसात में ज्यादा बारिश से हो जाए तो भी फसलें खराब हो जाती हैं और अगर बारिश न हो उस स्थिति में भी किसानों को नुकसान झेलना पड़ता है। सरकार को चाहिए कि जिन क्षेत्रों में सिंचाई नहीं होती है वहां पर भी सिंचाई की व्यवस्था की जाए ताकि किसानों को नुकसान ना झेलना पड़े।