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हिमाचल : बिना गाड़ी, कर्मचारी और बजट के कैसे प्लास्टिक मुक्त होंगी पंचायतें

ewn24 news choice of himachal 06 Mar,2025 7:37 pm




    पर्याप्त बजट न मिला तो फेल हो सकती योजना 


    ऋषि महाजन/नूरपुर। हिमाचल सहित पूरे कांगड़ा जिला में पंचायतों को प्लास्टिक मुक्त करने की कवायद शुरू हो चुकी है। इसके लिए स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत कार्य किया जा रहा है। इसमें प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट स्थापित होंगे।

    वहीं, पंचायतों में सेग्रीगेशन शेड भी लगाए जाएंगे।  इस योजना के सफल होने में सबसे बड़ा सवाल यह है कि बिना गाड़ी, कर्मचारी व बजट के पंचायतें अपने स्तर पर वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट तक प्लास्टिक वेस्ट कैसे पहुंचाएंगी। सेग्रीगेशन शेड तक भी प्लास्टिक वेस्ट पहुंचाना चुनौती से कम नहीं होगा। 

    योजना के तहत क्या होगा


    कांगड़ा जिला के 18 ब्लॉक में स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट स्थापित किए जाएंगे। हर ब्लॉक में यूनिट स्थापित करने के लिए 16-16 लाख रुपए की राशि दी जाएगी। कांगड़ा जिला में अभी 9 ब्लॉक में  प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट का काम लगभग पूरा हो चुका है। इसमें 7 कार्य कर रहे हैं। 


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    नूरपुर ब्लॉक की पंदरेहड़ पंचायत में प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट स्थापित किया गया है। इसमें आसपास की 16 पंचायतों को शामिल किया है। वहीं, नूरपुर ब्लॉक की 51 पंचायतों में सेग्रीगेशन शेड भी स्थापित किए गए हैं। 


    योजना की सफलता में क्या चुनौती?


    स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत पंचायतों को प्लास्टिक मुक्त किए जाना है। ब्लॉक में पंचायतों के क्लस्टर स्थापित करके प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट स्थापित किए जाना है। साथ ही पंचायतों में सेग्रीगेशन शेड भी स्थापित किए जाने हैं।

    पहले वार्डों से प्लास्टिक वेस्ट सेग्रीगेशन शेड तक पहुंचेगा। वहां से इसे प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट तक पहुंचाया जाएगा। सेग्रीगेशन शेड पंचायत घरों के आसपास स्थापित किए जा रहे हैं। 


    पंचायत में कुछ वार्ड तो पंचायत घरों से काफी दूर होते हैं। पहली चुनौती तो यही है कि प्लास्टिक वेस्ट सेग्रीगेशन शेड तक कैसे पहुंचेगा। हालांकि, नूरपुर ब्लॉक में स्वयं सहायता समूहों और महिला मंडलों की मदद लेने की बात की जा रही है। पर  स्वयं सहायता समूहों और महिला मंडल भी इस कार्य को कैसे कर पाएंगे। 



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    वह करेंगे भी या नहीं।  दूसरी तरफ प्लास्टिक वेस्ट को यूनिट तक पहुंचाने का जिम्मा संबंधित पंचायत के पास होगा। बिना गाड़ी और कर्मचारी के पंचायतें इस कार्य को कैसे करेंगी। इसके लिए बजट का प्रावधान कैसे होगा।  



    क्या कहना है पंचायत प्रतिनिधि का


    पंदरेहड़ पंचायत के उपप्रधान सिकंदर राणा ने कहा कि पंचायत में प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट स्थापित किया गया है। इसके लिए 16 लाख में 8 लाख रुपए आए हैं। अभी आठ लाख रुपए नहीं आए हैं। इसके बावजूद यूनिट को चला दिया है। अगर शेष पैसा आ जाता है कि यूनिट का सही ढंग से यूज किया जा सकेगा। इसके लिए पंचायत ने डिमांड की है। उन्होंने कहा कि पंचायत तीन स्कूल में जाकर छात्रों को जागरूक किया है।


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     उन्होंने कहा है कि घर में पड़ा प्लास्टिक वेस्ट थैले में डालकर हमें दें। इसे यूनिट तक पहुंचाया जाएगा। पंचायत उपप्रधान सिकंदर राणा ने कहा कि इस योजना को सही तरीके से चलाने के लिए पैसे की जरूरत है। प्लास्टिक वेस्ट यूनिट तक पहुंचाने के लिए गाड़ी भी चाहिए और कर्मचारी भी चाहिए। अगर इसके लिए पर्याप्त बजट का प्रावधान नहीं हो सका तो योजना फेल हो सकती है।  


    क्या कहते हैं अधिकारी


    बीडीओ नूरपुर अशोक शर्मा का कहना है कि  प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट पंदरेहड़ पंचायत में स्थापित किया गया है। इसमें 16 पंचायतों को शामिल किया है। साथ ही 51 पंचायत में सेग्रीगेशन शेड स्थापित किए हैं। सेग्रीगेशन शेड पंचायत घरों के आसपास स्थापित किए हैं। 



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    उनका प्रयास है कि सेग्रीगेशन शेड तक प्लास्टिक वेस्ट पहुंचाने का दायित्व स्वयं सहायता समूहों और महिला मंडलों को दिया जाए। यूनिट तक पहुंचाने का इंतजाम संबंधित पंचायत को करना होगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन के निर्देश हैं कि पंचायतों में प्लास्टिक वेस्ट नहीं दिखना चाहिए। इसके मध्यनजर इस कवायद को तेज किया जा रहा है। 

    वहीं, प्रोजेक्ट डायरेक्टर डीआरडीए चंद्रवीर ने कहा कि सभी 18 ब्लॉक में  प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट स्थापित होंगी। अभी 9 में काम पूरा हो चुका है और 7 ने कार्य करना शुरू कर दिया है। हर ब्लॉक में यूनिट स्थापित करने पर 16 लाख रुपए खर्च होंगे। यूनिट तक प्लास्टिक वेस्ट पहुंचाने का काम संबंधित पंचायतों को खुद अपने स्तर पर करना होगा।


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