सुभाष चौहान भगनाल/राजगढ़। राजगढ़ बैसाखी पर्व मेले में बलवीर भगनाल ने पहाड़ी कविता "जमाना नौंआ पराणा" की प्रस्तुति से खूब वाहवाही लूटी।
बलवीर भगनाल गांव कोड़ब, डाकघर हाब्बन, तहसील राजगढ़, जिला सिरमौर के स्वर्गीय सोहन सिंह भगनाल व स्वर्गीय बरतो देवी के पुत्र हैं। इनकी दूसरी माँ बिमला देवी है जिनसे इन्हें भरपूर स्नेह व आशीर्वाद प्राप्त होता है।
इनके बड़े भाई ऋंगारा भगनाल इनका मनोबल बढ़ाते हुए इनका हर कदम में साथ देते हैं। बलवीर भगनाल ने बताया कि मुझे मेरी पत्नी रंजना देवी, बेटी अन्जली, बेटा कुलदीप व भाई ओमप्रकाश भगनाल से अपनी पारम्परिक लोक संस्कृति व आन्तरिक भावनाओं को प्रकट करने की प्रेरणा मिलती है।
इससे पहले इन्होंने भगनाल म्यूजिक चैनल पर श्रद्धांजलि गीत " शहादत ए प्रवीण शर्मा ", "आए मुंजरें तेरे" और " पालू देवता की वंदना " इत्यादि गीत रिलीज किए हैं। इन्होंने अपने इन गीतों से लोगों के दिल में अमिट छाप छोड़ी है। इनकी कलम से लिखे हुए प्रत्येक शब्द तराशे हुए हीरे के समान होते हैं।
इनका कहना है कि आजकल की पीढ़ी को बड़े बुजुर्गों का सम्मान करना चाहिए क्योंकि बुजुर्गों का जीवन यापन प्रयोगात्मक अनुभव से युक्त होता है।
ज्वालाजी से सुभाष चौहान भगनाल ने कहा कि भाई बलवीर भगनाल, उनके परिवार व इनके समस्त सहयोगियों पर हमें बहुत गर्व है। पालू देवता महाराज जी का इन सभी पर आशिर्वाद बना रहे।