रेखा चंदेल /झंडूता। हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिला के घुमारवीं उपमंडल के शिव शक्ति कान्वेंट स्कूल कसारु में 'पहाड़ी क्षेत्र का सुनियोजन' विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला के दूसरे व अंतिम दिन नियोजन पर विस्तृत चर्चा हुई।
इसका आयोजन गुरु राम दास स्कूल ऑफ प्लानिंग व गुरु नानक विश्वविद्यालय अमृतसर के सौजन्य से किया गया है। दूसरे दिन प्रथम सत्र की अध्यक्षता पूर्व मुख्य अभियंता हिमाचल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड डॉ. सरवन कुमार ने की।
सहायक प्रोफेसर गुरु राम दास स्कूल ऑफ प्लानिंग डॉ. रवि इंदर सिंह ने शहरीकरण और पहाड़ी क्षेत्रों में इसका प्रभाव, चुनौतियां और समाधान और डॉ अश्वनी लूथरा ने "शहरी और क्षेत्रीय पहाड़ी बस्तियों का अध्ययन" पर अपना पत्र प्रस्तुत किया।
उन्होंने बताया कि शिमला स्मार्ट सिटी भूकंप संभावित क्षेत्र में आता है, लेकिन वहां दस-दस मंजिल की अनुमति देकर मानव जीवन से खिलवाड़ किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जो हमने शोध किया है, उसके अनुसार राष्ट्रीय राज मार्ग संख्या 22 बाईपास पर 50.09 प्रतिशत, एनएच 22 पर 12.92 व एसएच 13 पर 16.80 प्रतिशत शहरी फैलाव हुआ है।
कुछ क्षेत्रों में तो ऐसे भवनों के नक्शे पास कर दिए गए हैं, जहां अर्थी निकलने के लिए रास्ता नहीं है। यह सब राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण हो रहा है। नक्शा पास होने से पहले ही निर्माण हो जाता है।
पार्किंग, कचरे का निपटान, पानी की समस्या गंभीर रूप लेती जा रही है। ऐसा समय भी आ सकता है, जब टैंकरों से पानी की सप्लाई करनी पड़ सकती है। राष्ट्रीय व राज्य मार्गों पर अंधाधुंध निर्माण कार्य किया जा रहा, जिससे पानी की निकासी प्रभावित हो रही है।
दूसरे सत्र में पूर्व मुख्य अभियंता लोक निर्माण विभाग बीएस भारद्वाज मुख्य अतिथि थे। इस अवसर पर प्रोफेसर मनजीत सिंह, जसवंत सिंह, बीएस मरह, एएन गौतम, आद राम सांख्यान आदि उपस्थित थे। इस अवसर पर कुछ सुझाव भी शोध पत्र में प्रस्तुत किए गए।
इनमें अंचल स्तर पर विकास नियोजन, नियम व विकास नियंत्रण करना, नियोजित विकास के लिए सेक्टर निर्माण, 30 से 50 प्रतिशत ढलान वाले क्षेत्रों में निर्माण पर प्रतिबंध, भूकंप के लिए शहरी आपदा प्रबंधन द्वारा सुझाए नियमों का सख्ती से पालन करना, राष्ट्रीय व राज्य मार्गों के 10 व अन्य सड़कों के 7 मीटर तक किए गए अतिक्रमण को हटाया जाए।
राष्टीय व राज्य मार्गों के साथ उचित पर्यावरण गलियारों का निर्माण किया जाए और उनमें केवल सीमित विकास की अनुमति दी जाए। पार्किंग के लिए एक विस्तृत नियमावली तैयार की जाए। इस कार्यशाला में नियोजन में राजनीति की भूमिका पर भी चर्चा की गई।
यह बात सामने आई कि सुनियोजन तो सही ढंग से हो रहा है, लेकिन पहुंच वाले लोग सत्ता का लाभ लेकर अपने फायदे के लिए नियोजन के कायदे कानूनों को दरकिनार कर देता हैं।