हरिपुर। जहां एक दिन पहले बेटे के जन्म की खुशियां थीं, वहां से आज यानी वीरवार को दो अर्थियां एक साथ उठीं। एक गांव में एक परिवार के दो लोगों की अर्थी एक साथ उठी तो हर आंख नम हो गई। मामला देहरा विधानसभा क्षेत्र की हरिपुर तहसील की खैरियां पंचायत के पंसाल वार्ड का है।
पंसाल निवासी ललिता देवी की बुधवार को सकरी में बुलेट से गिरने से मौत हो गई। अभी ललिता देवी के अंतिम संस्कार की तैयारी भी शुरू नहीं हुई थी कि वीरवार सुबह करीब 7 बजे उनके ननदोई दिलीप कुमार (65) ने भी दम तोड़ दिया। जहां ललिता देवी के अंतिम संस्कार की तैयारी करनी थी, वहां दोनों का अंतिम संस्कार करना पड़ा। दोनों की चिताएं एक साथ जलीं।
बता दें कि पंसाल निवासी ललिता देवी (55) पत्नी दलजीत सिंह की ननद की बेटे गुरदेव सिंह की पत्नी जवाली क्षेत्र के एक अस्पताल में डिलीवरी हुई थी। उसने बेटे को जन्म दिया था। ललिता देवी अस्पताल में ननद की बहू के साथ थीं। ललिता देवी की ननद का परिवार भी पंसाल में ललिता देवी के घर के साथ रहता है।
बुधवार को ललिता देवी ननद के बेटे गुरदेव के साथ बुलेट पर जवाली से खैरियां लौट रही थीं। सुबह करीब 9 बजे सकरी वेटरनरी अस्पताल के आगे ललिता देवी बुलेट से गिर गई और सिर में अंदरूनी चोट लग गई। उन्होंने सीएचसी हरिपुर लाया गया, जहां चिकित्सक ने उसे मृत घोषित कर दिया। हरिपुर पुलिस स्टेशन से टीम ने मौके पर पहुंचकर शव कब्जे में लेकर जांच शुरू कर दी।
शव को पोस्टमार्टम के लिए देहरा अस्पताल ले जाया गया। पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया। परिजन ललिता देवी का शव घर ले आए। वीरवार को ललिता देवी का अंतिम संस्कार होना था। इससे पहले सुबह करीब सात बजे ललिता देवी के ननदोई दिलीप कुमार को खून की उल्टी हुई और उन्होंने भी दम तोड़ दिया। इसके बाद दोनों का अंतिम संस्कार एक साथ किया गया।
पुलिस के अनुसार बुलेट चालक के एकदम ब्रेक लगाने से ललिता देवी डर गईं और बुलेट से छलांग लगा दी। वह सड़क पर औंधे मुंह गिरी और सिर पर चोट लगने से उनकी मृत्यु हो गई। हालांकि, लोग पीडब्ल्यूडी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहे हैं। लोगों का कहना है कि जहां हादसा हुआ, वहां सड़क धंसी है और गड्ढा है। पीडब्ल्यूडी ने इस और ध्यान नहीं दिया।
खैरियां पंचायत के उपप्रधान जसवीर सिंह गुलेरिया ने कहा कि बुधवार को उनकी पंचायत के पंसाल वार्ड की ललिता देवी की जान हादसे में चली गई। जब ललिता देवी की पार्थिव देह घर पहुंची तो परिवार के दूसरे सदस्य की भी मौत हो गई। जब दो अर्थियां एक साथ निकली तो हर कोई दुखी हुआ।
उन्होंने कहा कि जहां हादसा हुआ, वहां जानलेवा खड्डे हैं। इन खड्डों को भरने की जिम्मेदारी कौन लेगा। खड्डे भरने का दायित्व पीडब्ल्यूडी का है। उन्होंने कहा कि खड्डों की वजह से हंसता खेलता परिवार खत्म हो गया। उन्होंने मांग की है कि पीड़ित परिवारों को पीडब्ल्यूडी अधिकारियों की जेब से मुआवजा प्रदान किया जाए।