कांगड़ा। भारत सरकार द्वारा (क्रास बार्डर क्षेत्रों में) मानव तस्करी एवं बाल श्रम को कठोरता से रोकने के लिए बाल विकास परियोजना एवं महिलाओं, बच्चों, लड़कियों, पीड़ितों को राहत और पुनर्वास सेवाएं प्रदान करने का सक्रियता से कार्य प्रारम्भ किया गया है। इस कुप्रथा को पूर्ण रूप से नियंत्रित करने की एक व्यापक मुहिम की शुरूआत हुई है।
इसके खिलाफ भारत के साथ ही समूचे विश्व के लिए गम्भीर समस्या बनी क्रास बार्डर मानव तस्करी एवं बच्चों एवं महिलाओं के उत्पीड़न, अनैतिक व्यापार, हिंसा, एवं बालश्रम के खिलाफ वर्ष-2000 से मानव सेवा संस्थान सेवा एवं CBATN (क्रास बार्डर एन्टी ट्रेफिकिंग नेटवर्क) ‘इण्डो नेपाल बार्डर’ पर पिछले 25 वर्षो में अपने सहयोगी संस्थान और संगठन के सहयोगियों के साथ मिलकर लगभग 20 हजार से अधिक बच्चों एवं महिलाओं को इस दलदल में फसने से बचाने का कार्य रोकथाम, संरक्षण, अभियोजन, के साथ इनके पुनर्वास एवं पीड़ित को क्षतिपूर्ति प्रदान करने का सराहनीय प्रयास किया गया है।
इस अभियान में संस्थान के साथ ए.एच.टी.यू., एस.एस.बी., पुलिस, सामाजिक संगठन, मीडिया, समुदाय का भरपूर सहयोग मिलता रहा है, इण्डो नेपाल क्रास बार्डर पर स्थानीय स्तर पर समुदाय, संस्थान, समूह, शासन एवं प्रशासन के साथ समन्वय बनाकर कार्य किया गया है और इसके परिणाम स्वरूप हजारों लोगों की जिन्दगी को बचाने के साथ ही साथ इनके परिवारों मे पुनर्वासित कराया गया है।
समाज कल्याण एवं विकास मंडल के कार्यकारी निदेशक केवल राम सीरांटा ने बताया कि मानव तस्करी अभियान के अंतर्गत हिमाचल प्रदेश में जिला कांगड़ा के ज्वालामुखी में जागरूकता शिविर का आयोजन 30 जुलाई 2025 को आयोजित किया जाएगा।
इस अभियान का मुख्य उद्देश्य क्रास बार्डर पर बच्चों एवं महिलाओं के तस्करी को रोकना, इनके खिलाफ हिंसा को रोकना, इसके साथ ही साथ विकास में अवसर एवं भागीदारी के साथ ही इस कुप्रथा के खिलाफ जन जागरूकता के माध्यम से विराम लगाने का कार्य करना है। जिसमें हम स्थानीय सीमावर्ती जनपद में सामाजिक संस्थान, संगठन, प्रबुद्धजन, सरकारी तंत्र, ग्रामीण स्तर पर कमेटी, मंगलदल, संगठन, मीडिया, एवं जन सहयोग के साथ मिलकर इसके खिलाफ एक व्यापक मुहिम की शुरुआत आपके साथ मिलकर विगत पिछले 3 वर्षो से किया जा रहा है जिसके सार्थक परिणाम भी परिलक्षित हुए है।
आज वैश्विक स्तर पर क्रास बार्डर पर मानव तस्करी सबसे तेजी से बढ़ती हुईं आपराधिक गतिविधि है जो कि अवैध हथियारों और नशीले पदार्थों की बिक्री के बाद विश्व का तीसरा सबसे बड़ा अपराध है। जो कि वर्तमान समय मे एक गम्भीर समस्या बनती जा रही है और सभ्य समाज के माथे पर कलंक के रूप मे विकृत रूप ले रहा है।
हर साल बेहिसाब हजारों पुरुष, महिलाएं और बच्चे घरेलू और विदेशी दोनों ही स्तर पर अवैध रूप से मानव तस्करी का शिकार बनते जा रहें हैं। मानव तस्करी के रूप में पुरुष, महिला और बच्चों के साथ जबरन श्रम और यौन तस्करी में शामिल, भारत एक स्रोत के रूप में कार्य कर रहा है, जिसका सबसे अधिक शिकार गरीब, उत्पीड़ित, अशिक्षित,सामाजिक वर्गों से दलित ज्यादा होते है ,निम्नतम सामाजिक स्तर से, आदिवासी लोग, धार्मिक, अल्पसंख्यक और महिलाएं और लड़कियाँ भी शिकार है।
सरकारी आंकड़े के अनुसार 2021 में तस्करी से बचाए गए, बच्चों एवं महिलाओं में 3912 महिलाएं थीं। जिसमें अधिकतम संख्या सबसे अधिक पीड़ित ओडिशा (1290) से बचाया गया, उसके बाद महाराष्ट्र (890) का स्थान रहा। तेलंगाना (796), और दिल्ली (509) लोग मानव तस्करी से प्रभावित हुए यह सरकारी अभिलेख मे दर्ज मामले है जब कि वास्तविकता इससे कई गुना ज्यादा है।
मानव सेवा संस्थान सेवाविश्व मानव तस्करी विरोध दिवस 30 जुलाई 2025 को भारत के सीमावर्ती सभी 75 जनपदों में अपने सहयोगी संगठनों के साथ समन्वय स्थापित कर इस कुप्रथा के खिलाफ प्रत्येक जिले में जिला /ब्लॉक स्तरीय परिचर्चा / गोष्ठी /बैठक एवं जागरूकता रैली /मशाल जुलुश /प्रभात फेरी, नुक्कड़ नाटक आदि आयोजित कर रही है, जिसमें महिलाओं और बच्चों के लिए हिंसा मुक्त वातावरण के निर्माण के लिए मिलकर कार्य करेगी। जिसका मुख्य उद्देश्य प्रमुखरूप से सुरक्षित प्रवासन को बढ़ावा देना, मानव तस्करी की रोकथाम,सामुदायिक भागीदारी बच्चो को बाल श्रम से मुक्त कराने पर एक सामुहिक नीति एवं कार्यक्रम की योजना रचना बनाने पर विचार एवं उसके समाधान हेतु प्रभावी कार्यक्रम तैयार किया जायेगा।
क्रास बार्डर पर इस अभियान से जुड़े समाज कल्याण एवं विकास मंडल के प्रमुख केवल राम सीरांटा कार्यकारी निदेशक ने बताया कि सीमापार से होने वाले इस मानव व्यापार के खिलाफ हम मिलकर क्रास बार्डर क्षेत्रों में मानव तस्करी के खिलाफ सहयोगात्मक कार्रवाई और बृहद अभियान शुरू किया गया है।
संस्थान द्वारा सर्वसमाज, को इस अभियान में सहयोग प्रदान करने की अपील किया, आपके माध्यम से यह निवेदन है कि बैठक के माध्यम से क्रास बार्डर के सभी 75 जनपद में सभी संस्थान, शासन, प्रशासन, ए.एच.टी.यू., एस.एस.बी., पुलिस, मीडिया, प्रबुद्वजनों, सामाजिक संगठन, समुदाय के सहयोग से अभियान की शुरूआत किया जा रहा है, इसमें अधिक से अधिक लोगों तक यह संदेश प्रसारित करें जिससे की क्रास बार्डर पर इस बेहद संवेदनशील विषय पर लोगों को जोड़ने के साथ इस वैश्विक समस्या से छुटकारा पाया जा सके।