शहीद विजय कुमार गौतम पंचतत्व में विलीन, 6 साल के बेटे ने दी मुखाग्नि
ewn24news choice of himachal 21 Aug,2023 8:12 pm
PWD मंत्री विक्रमादित्य सिंह भी अंतिम संस्कार में पहुंचे
शिमला। लद्दाख के लेह जिला में हुए सड़क हादसे में वीर गति को प्राप्त हुए हवलदार विजय कुमार गौतम का उनके पैतृक गांव डिमणी में आज राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।
सैकड़ों लोगों ने नम आंखों से शहीद विजय को अंतिम विदाई दी। विजय न सिर्फ अपने परिवार को अकेला छोड़ गया बल्कि उन सभी युवाओं का भी साथ छोड़ गया जिनको वह सेना भर्ती के लिए प्रेरित करता था ट्रेनिंग देता था।
हवलदार विजय कुमार गौतम की पार्थिव देह सोमवार सुबह शिमला पहुंची। विजय कुमार की पार्थिव देह को हेलीकॉटर के माध्यम से शिमला के अन्नाडेल मैदान में उतारा गया। यहां पर शहीद विजय कुमार को आर्मी जवानों द्वारा पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई।
इसके बाद देह को पैतृक गांव रवाना किया गया। जवान विजय कुमार पुत्र बाबूराम शर्मा शिमला ग्रामीण की ग्राम पंचायत नेहरा की तहसील सुन्नी के गांव डिमणी के रहने वाले थे। विजय की पार्थिव देह पहुंचते ही विजय कुमार अमर रहे के नारों से पूरा डिमणी गांव गूंज उठा।
घर पर विजय के मां-बाप और पत्नी ने उनके अंतिम दर्शन किए। इसके बाद शहीद हवलदार विजय कुमार गौतम का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। 6 साल के बेटे ने विजय को मुखाग्नि दी। PWD मंत्री विक्रमादित्य सिंह भी अंतिम संस्कार के दौरान मौजूद रहे और शहीद को श्रद्धांजलि दी।
बलिदानी विजय कुमार के घर में उनके माता-पिता, पत्नी व दो बच्चे हैं। विजय का एक बड़ा भाई भी है। विजय का बड़ा बेटा 6 साल का है जबकि छोटा बेटा महज डेढ़ साल का है।
विजय कुमार ने दाड़गी स्कूल से 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। उसके बाद वह सेना में भर्ती हो गए थे। विजय बेहद ही गरीब परिवार से संबंध रखते थे। खेल में वह शुरू से ही अव्वल थे। स्कूल में राज्य स्तर पर उन्होंने कबड्डी व खो-खो खेला। सेना में भी कई मेडल इन्होंने खेल में जीते।
विजय कुमार गरीब परिवार से संबंध रखते थे। उनकी मां ने बकरियां पालकर उनकी पढ़ाई का खर्चा निकाला और फिर बड़ी मेहनत के बाद उन्हें सेना में भर्ती करवाया। विजय कुमार न केवल पढ़ाई में अव्वल थे, बल्कि खेलों में भी उनका रुझान था।
भारतीय सेना में भर्ती होते ही विजय कुमार ने न केवल अपने घर-परिवार की जिम्मेदारी संभाली बल्कि वे गांव के बच्चों को भी सेना में भर्ती होने के लिए प्रेरित करते थे। विजय कुमार जब भी छुट्टियों में आते तो युवाओं को सेना भर्ती की ट्रेनिंग देते और साथ ही उन्हें खेलों की भी जानकारी देते थे।