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कांगड़ा : पूर्व प्रवक्ता जीवन राणा का कमाल, घाड़ जरोट में कर रहे ड्रैगन फ्रूट की खेती

ewn24news choice of himachal 23 Jul,2023 12:31 pm

    कर रहे हैं प्राकृतिक खेती, लिया है प्रशिक्षण

     

    धर्मशाला। सेवानिवृत्ति के पश्चात अधिकतर लोग जहां आराम से अपना जीवन जीना चाहते हैं, वहीं समाज में कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो जीवन में कुछ नया करने की सोच रखने के साथ नई मिसाल पेश कर अन्य लोगों के लिए भी प्रेरणास्रोत बन जाते हैं। ऐसा ही कमाल कर दिखाया है, कांगड़ा जिला के नगरोटा सूरियां विकास खंड के तहत घाड़ जरोट के कृषक परिवार से संबंध रखने वाले जीवन सिंह राणा ने। शिक्षा विभाग से प्रवक्ता पद से सेवानिवृत्त जीवन सिंह राणा ने ऐसे गुणकारी एवं स्वास्थ्यवर्धक फ्रूट जिसे सुपरफ्रूट भी कहते हैं कि खेती शुरू की है।
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    ड्रैगन फ्रूट से मशहूर इस सुपर फ्रूट का यहां के अधिकतर लोगों ने न तो नाम सुना था और न ही स्वाद चखा था, लेकिन प्रदेश सरकार के बागवानी विभाग के प्रयासों के साथ जीवन राणा तथा उनके परिवार की कड़ी मेहनत से ड्रैगन फ्रूट की लालिमा से जहां जीवन राणा के बाग की तस्वीर बदल रही है, वहीं लोगों को इस फ्रूट के औषधीय गुणों के बारे में भी जानकारी मिल रही है।
    कोरोना कालखंड के दौरान जीवन राणा ने सिविल इंजीनियर पास बेटे आशीष राणा और अपनी पत्नी कुंता राणा से सलाह मशविरा करके कुछ नया कारोबार शुरू करने का मन बनाया, ताकि बेटे के साथ परिवार भी उस कार्य से जुड़ सके।
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    उन्होंने सितंबर, 2020 में बेटे के साथ पंजाब राज्य के बरनाला में ड्रैगन फ्रूट फार्म का दौरा कर इसकी खेती बारे जानकारी ली। उसके पश्चात उन्होंने बागवनी विभाग से सम्पर्क कर 6 कनाल भूमि पर लाल छिलके की किस्म के ड्रैगन फ्रूट के 450 पौधे लगा कर इसकी प्राकृतिक तरीके से खेती शुरू की। पहले वर्ष में सैंपल के तौर पर 30 से 35 पीस की पैदावार हुई। जबकि पिछले वर्ष सीजन के दौरान 600 किलोग्राम ड्रैगन फ्रूट का उत्पादन हुआ, जिसमें एक पौधे से अधिकतर 700 ग्राम वजन के फ्रूट की पैदावार हुई है। उन्हें एक वर्ष में 1 लाख 25 हज़ार रुपए की आय प्राप्त हुई है। इस वर्ष भी फ्रूट की फसल शुरू होने के साथ अब तक 2 क्विंटल फ्रूट की बिक्री कर दी गई है।

    ड्रैगन फ्रूट की फसल नवंबर माह तक जारी रहेगी। उनका मानना है कि इस वर्ष ड्रैगन फ्रूट की 1200 किलोग्राम तक पैदावार होने की उम्मीद है।
    उनका कहना है कि पूरी तरह आर्गेनिक तरीके से तैयार इस फ्रूट की दूसरे राज्यों में अच्छी मांग रहती है। जहां पर 250 से 500 रुपए प्रति किलोग्राम तक दाम मिलते हैं । बावजूद इसके वह बाहरी राज्यों के बजाए अपने प्रदेश में गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीजों के लिए इसकी सप्लाई करते हैं। बागवानी विभाग के विशेषज्ञों के समय-समय पर दिए गए मार्गदर्शन तथा तकनीकी सहायता और तीन साल की कड़ी मेहनत से परिवार ने सफलता की एक नई इबारत लिखी है।
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    उन्होंने इसकी खेती को बढ़ावा देने के लिए इस वर्ष भी प्रदेश सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत बागवानी विभाग के सहयोग से अपने खेतों में और पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है।

    वैसे तो जीवन राणा ने वर्ष 2014 से ही प्राकृतिक खेती शुरू की थी। लेकिन प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देते देख जीवन राणा ने इस खेती बारे कृषि विभाग से तकनीकी जानकारी लेने सहित इसके अंतर्गत प्रदेश सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ प्राप्त किया। उनका कहना है कि प्राकृतिक खेती से जहां जमीन को जहरीला होने से बचाया जा सकता है, वहीं इससे कम लागत में अच्छी पैदावार होती है। प्रदेश सरकार द्वारा कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण (आतमा) के माध्यम से आरंभ की गई ‘प्राकृतिक खेती, खुशहाल किसान’ योजना से जुड़ कर जीवन राणा ने प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण लिया।

    उन्होंने सही तरीके से प्राकृतिक खेती करने के लिए साहीवाल नस्ल की गाय भी पाल रखी है जिसके गोबर तथा गौमूत्र से जीवामृत, बीजामृत, दशपर्णी अर्क, आच्छादन, वापसा और निमास्त्र आदि तैयार करते हैं। इनके इस्तेमाल से पौधों को कवक और जीवाणु से उत्पन्न होने वाले रोगों से बचाने में मदद मिलती है।

    आज जीवन राणा अपने खेतों में प्राकृतिक खेती से ड्रैगन फ्रूट की खेती के अलावा स्ट्रॉबेरी, रवी तथा खरीफ सीजन में मक्की, गेहूं,धान( लाल चावल, बासमती), माह, उड़द, सोयाबीन, चना, अलसी, रागी, कोदरा, अदरक और हल्दी की बीजाई कर अच्छी पैदावार प्राप्त कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त सीजनल सब्ज़ियों में घीया,भिंडी ,लौकी, तोरी, बैंगन, टिंडा,खीरा, करेला आदि भी उगाते हैं। उन्होंने लीची,आम,अमरूद, पपीता, जामुन, हरड़,बेहड़ा तथा आंवला जैसे कई फलदार और औषधीय पौधे भी उगाए हैं।

    ड्रैगन फ्रूट की विशेषताएं

    ड्रैगन फ्रूट कैक्टस की ही एक प्रजाति है। इस फल में विटामिन C भरपूर मात्रा में होता है जो रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) को बढ़ाता है और मधुमेह,अल्जाइमर, पार्किंसंस जैसी पुरानी बीमारियों (क्रोनिक डिज़ीज़) से बचाता है। विशेषकर इसमें बहुत ज़्यादा फाइबर होता है जो पाचन स्वास्थ्य (डाइजेशन हेल्थ) को बेहतर बनाता है।
    जानकार बताते है कि इस फल में एंटी-कैंसर के गुण होते हैं जिससे कैंसर होने का खतरा कम होता है। इस फल को नियमित रूप से खाने से रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) के स्तर को संतुलित रखा जा सकता है। इस सुपरफ्रूट में 18% मैग्नीशियम होता है और यह हड्डियों को मजबूत और स्वस्थ बनाता है।

    कृषि एवं बागवानी विभाग से मिली सहायता

    जीवन राणा का कहना है कि प्रदेश सरकार के कृषि एवं बागवानी विभाग से उन्हें हर समय तकनीकी जानकारी के साथ बहुत सहयोग मिला है। विभाग द्वारा ट्रैक्टर की खरीद पर उन्हें अढ़ाई लाख रुपए, बोरवेल पर 1 लाख 10 हजार रुपए, जबकि सिंचाई के लिए ड्रिप एवं स्प्रिंकलर प्रणाली के लिए 22 हज़ार रुपए, ड्रैगन फ्रूट के पौधे लगाने सहित पॉलीहाउस बनाने के लिए भी सब्सिडी प्रदान की गई है। प्राकृतिक खेती, खुशहाल किसान योजना के तहत उन्हें देसी नस्ल की गाय की खरीद पर 20 हज़ार जबकि गौशाला के फर्श एवं गौमूत्र एकत्रीकरण की व्यवस्था,ड्रम एवं अन्य सामग्री और भंडारण पर भी अनुदान प्रदान किया गया है।
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    बागवानी विभाग के उपनिदेशक डॉ कमलशील नेगी ने बताया कि पहले ड्रैगन फ्रूट की पैदावार देश के अन्य राज्यों में होती थी, लेकिन इसमें औषधीय गुण विद्यमान होने के कारण प्रदेश में बढ़ती मांग को देखते हुए प्रदेश सरकार द्वारा इसकी खेती सहित अन्य फ्रूट की किस्मों को तैयार करने के लिए किसानों को प्रेरित करने का प्रयास किया जा रहा है। बागवानी विभाग कांगड़ा जिला में इस फ्रूट की खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रयास कर रहा है, जिसके तहत इस वर्ष नगरोटा सूरियां ब्लॉक में 25 कनाल भूमि पर फ्रंट लाइन डेमोस्ट्रेशन प्लाट स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें वैज्ञानिक तरीके से 4 हजार पौधे लगाए जाएंगे। विभाग द्वारा इस पर लगभग 15 लाख रुपए व्यय किए जाएंगे। इस डेमोस्ट्रेशन प्लाट में दूसरे क्षेत्रों से लोग आकर ड्रैगन फ्रूट की खेती बारे तकनीकी जानकारी हासिल कर सकेंगे ।

    मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सूक्खु ने बागवानी विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में ड्रैगन फ्रूट, ब्लूबेरी सहित अन्य नई फ्रूट की किस्मों की खेती को नए बजट में शामिल किया है, जिससे यहां के बागवानों में फल उत्पादन के प्रति रुझान बढ़ेगा। मुख्यमंत्री की इस पहल से बागवानों विशेषकर युवाओं को इससे स्वरोज़गार के बेहतर अवसर प्राप्त होने के साथ अच्छी आय भी प्राप्त होगी।


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