हिमाचल : जनविरोधी फैसले हों वापस, नहीं तो पूरे प्रदेश में होगा आंदोलन
ewn24news choice of himachal 25 Dec,2022 2:49 pm
कांग्रेस सरकार की कार्यप्रणाली बदला-बदली से प्रेरित
शिमला। पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर हिमाचल भाजपा विधायक दल का नेता चुन लिया गया है। इसके बाद भाजपा ने नवनियुक्त विधायक दल के नेता पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर को कांग्रेस सरकार के विरुद्ध एक ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन वर्तमान कांग्रेस सरकार द्वारा बदला-बदली की भावना से पूर्व भाजपा सरकार द्वारा खोले गए विभिन्न विभागों के सरकारी संस्थानों को बंद करने बारे था।
मांग की है कि प्रदेश सरकार द्वारा राजनीतिक द्वेष की भावना से लिए गए इन सभी जनविरोधी निर्णयों को तुरंत जनहित में वापस लिया जाए, ताकि प्रदेश में विकास की अविरल धारा निरंतर प्रवाहित होती रहे, अन्यथा भारतीय जनता पार्टी इन जनविरोधी निर्णयों के विरूद्ध पूरे प्रदेश में जन आंदोलन करेगी।
हिमाचल भाजपा का कहना है कि हिमाचल प्रदेश के इतिहास में यह पहली बार देखने को मिल रहा है, जब किसी सरकार ने अपने कार्यकाल की शुरूआत जनविरोधी निर्णयों से की हो।
किसी भी प्रदेश की उन्नति, प्रगति एवं विकास तभी संभव है, जब उस प्रदेश की सरकार सकारात्मक सोच और दलगत राजनीति से उपर उठकर कार्य करें, परन्तु हिमाचल प्रदेश की वर्तमान कांग्रेस सरकार की कार्यप्रणाली बदला-बदली एवं राजनीतिक प्रतिशोध की भावना से प्रेरित है।
पिछले कुछ दिन में प्रदेश सरकार ने पूर्व की भाजपा सरकार द्वारा जनता के हितों व सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए बजटीय प्रावधान के साथ जो सरकारी संस्थान खोले थे, उन्हें राजनीतिक द्वेष के चलते बंद करने के आदेश पारित किए हैं।
हिमाचल प्रदेश में अब तक राज्य विद्युत 32, स्वास्थ्य संस्थान (पीएचसी, सीएचसी, अस्पताल) 291, विभाग के तहसीलें 3, उप-तहसीलें 20, कानूनगो सर्कल 9, पटवार सर्कल 80, आईटीआई 17, रेवेन्यू सब डिवीजन सर्कल / डिवीजन / सब-डिवीजन / सेक्शन 16, 2, लोक निर्माण विभाग एसडीपीओ / पुलिस स्टेशन / पुलिस पोस्ट 18, आयुर्वेदिक अस्पताल 3, आयुर्वेदिक स्वास्थ्य केन्द्र 41, अन्य 42 सहित 574 कार्यालयों को बंद कर दिया गया है जो न केवल जनविरोधी है बल्कि तानाशाही निर्णय है, जिसे कदापि सहन नहीं किया जा सकता है।
भाजपा सरकार ने कैबिनेट बैठक में निर्णय लेकर सभी संस्थान आवश्यकतानुसार एवं बजटीय प्रावधान के साथ खोले थे। इन कार्यालयों में कामकाज सुचारू रूप से चलना प्रारंभ भी हो गया था और लोगों को सुविधाएं भी मिल रही थीं. परन्तु मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने बिना कैबिनेट बैठक के विभिन्न सरकारी संस्थानों को बंद करने के आदेश पारित कर दिए, जोकि कानून संगत भी नहीं हैं और कांग्रेस पार्टी की संकीर्ण व दुषित मानसिकता का परिचायक है।
कांग्रेस सरकार को चाहिए था कि वो पूर्व भाजपा सरकार के कार्यों को आगे बढ़ाकर प्रदेश के विकास के लिए कार्य करती परन्तु यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि कांग्रेस सरकार सत्ता प्राप्ति के बाद से ही अपनी राजनीतिक इच्छाओं की पूर्ति के लिए जनहितों के विरुद्ध कार्य कर रही है, जिसकी भारतीय जनता पार्टी कड़े शब्दों में आलोचना करती है।