नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार देश के कमान संभाली है और एक बार फिर उन्होंने अजीत डोभाल पर भरोसा जताया है। अजीत डोभाल को लगातार तीसरी बार राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) नियुक्त किया गया है। अजीत डोभाल को पहली बार 20 मई, 2014 को देश का राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया गया था। उसके बाद से डोभाल ही इस पद को संभाल रहे हैं।
उनसे पहले शिवशंकर मेनन देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार थे। 1968 बैच के आईपीएस अधिकारी अजीत डोभाल को कूटनीतिक सोच और काउंटर टेरेरिज्म का विशेषज्ञ माना जाता है। वहीं, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है। पीके मिश्रा को ही ये कार्यभार सौंपा गया है। पीके मिश्रा 1972 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वह पिछले 1 दशक से प्रधानमंत्री मोदी के साथ प्रधान सचिव के तौर पर काम कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आंख और कान कहे जाने वाले अजीत डोभाल 1968 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। आईबी प्रमुख रहे डोभाल 31 मई 2014 को प्रधानमंत्री के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बने थे। दरअसल, राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद का नेतृत्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार करते हैं, जिनका मुख्य काम राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर प्रधानमंत्री को सलाह देना होता है।
एनएसए का यह पद पहली बार 1998 में तब बनाया गया था जब देश में दूसरी बार परमाणु परीक्षण किए गए थे। सरकार में यह काफी अहम पद होता है। चाहे 370 हो, सर्जिकल स्ट्राइक हो, डोकलाम हो या कूटनीतिक फैसले, डोभाल देश की उम्मीदों पर खरे उतरे हैं। पुलवामा का बदला, जिसे पाकिस्तान कभी नहीं भूल पाएगा, वह भी डोभाल के नेतृत्व में लिया गया।
डोभाल 1972 में इंटेलिजेंस ब्यूरो में शामिल हुए थे। अपनी 46 साल की सर्विस में उन्होंने सिर्फ 7 साल ही पुलिस की वर्दी पहनी क्योंकि डोभाल का ज्यादातर समय देश के खुफिया विभाग में बीता है, इसलिए डोभाल का करियर भी उतना ही करिश्माई रहा है, जितना पहली नजर में वह सामान्य नजर आते हैं।
अजीत डोभाल एक ऐसे शख्स हैं जिन्हें देश की आंतरिक और बाहरी दोनों ही तरह की खुफिया एजेंसियों में लंबे समय तक जमीनी स्तर पर काम करने का बड़ा अनुभव है। वह इंटेलिजेंस ब्यूरो के चीफ रह चुके हैं। कीर्ति चक्र से सम्मानित हो चुके डोभाल अजीत डोभाल का जन्म 20 जनवरी 1945 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में हुआ था।
उन्हें काफी तेज तर्रार अधिकारी माना जाता है। उनकी विशिष्ट सेवाओं के लिए उन्हें 1988 में कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया, जो आम तौर पर वीरता के लिए सशस्त्र बलों को दिया जाता है। इसके अलावा वह भारतीय पुलिस पदक पाने वाले सबसे कम उम्र के अधिकारी थे। वह विवेकानंद के गैर-सरकारी संगठन की एक शाखा विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन के निदेशक रहे हैं।