ऋषि महाजन/जवाली। सहकारिता समाज के आम और गरीब परिवारों को आत्मनिर्भरता बनाने और संगठित तौर पर सशक्त करने का एक महत्वपूर्ण आंदोलन है।
कृषि और पशुपालन से जुड़े परिवारों को आत्मनिर्भर बनाने में सहाकरिता और सहाकरी आंदोलन अग्रणी भूमिका निभा सकते हैं। प्रदेश में पशुपालन और कृषि से जुड़े परिवारों को आर्थिक तौर पर सशक्त बनाने के लिए सरकार गंभीर प्रयास कर रही है।
सरकार के इन प्रयासों को अमली जामा पहनाने में सहकारी सभाओं की महती भूमिका रहेगी। जिला कांगड़ा सहकारी विकास संघ द्वारा जवाली में आयोजित सम्मेलन में बतौर मुख्यातिथि शिरकत करते हुए कृषि व पशुपालन मंत्री चौधरी चंद्र कुमार ने यह उद्गार प्रकट किए। इस दौरान कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक के अध्यक्ष कुलदीप पठानिया भी उपस्थित रहे।
71वें अखिल भारतीय सहकारी सप्ताह के अंतर्गत आयोजित इस सम्मेलन में कृषि मंत्री ने प्रदेश में सहकारी आंदोलन की यात्रा और इसकी उपयोगिता पर विस्तार से अपने विचार रखे।
चौधरी चंद्र कुमार ने देश के प्रमुख सहकारी आंदोलनों का उदाहरण देते हुए प्रदेश में भी इस प्रकार के कार्य करने की बात कही। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू प्रदेश में पशुपालन और कृषि से जुड़े लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाओं पर काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इन योजनाओं का सबसे बेहतर परिणाम तब मिलेगा जब इसके साथ सहकारिता जुड़ेगा। उन्होंने कहा कि आज सहकारिता को केवल ऋण देने की कार्यपद्धति से बाहर निकल कर लोगों का जीवन परिवर्तित करने की दिशा में काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आज सहकारिता में गांव-देहात के लोगों को एकत्रित कर अनुकरणीय कार्य करने की आवश्यकता है।
कृषि मंत्री ने कहा कि पशुपालन व्यवसाय को लाभप्रद बनाने के लिए मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा ‘हिम गंगा’ योजना की घोषणा की गई है, जिसका उद्देश्य राज्य में दूध आधारित अर्थव्यवस्था विकसित करना है। उन्होंने कहा कि हिम-गंगा योजना के लिए सरकार द्वारा 500 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है।
‘हिम-गंगा’ योजना के तहत पशुपालकों को दूध व दूध के उत्पादों का उचित मूल्य वास्तविक लागत के आधार पर प्राप्त होगा और दूध की खरीद, प्रसंस्करण और विपणन प्रणालियों की गुणवत्ता और दक्षता बढ़ाने के प्रयास किए जाएंगे। इस योजना के अंतर्गत जिला कांगड़ा में अब तक 61 दुग्ध सहकारी सभाओं का पंजीकरण किया जा चुका है। वर्तमान समय में 73 दुग्ध सहकारी सभाएं क्रियाशील हैं।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार जिला कांगड़ा के ढगवार में लगभग 350 करोड़ रुपये की लागत से एक अत्याधुनिक दूध प्रसंस्करण संयंत्र का निर्माण कर रही है। उन्होंने कहा कि दूध उत्पादकों की आय बढ़ाने के लिए आवश्यकता के अनुसार दूध उत्पादक सहकारिता समितियां गठित की जाएंगी, जो दूध तथा इससे संबंधित उत्पादों का प्रभावी विपणन सुनिश्चित करेंगी।
उन्होंने कहा कि गांवों में डेयरी फार्मिंग व्यवसाय को सुदृढ़ किया जाएगा। उन्होंने कहा कि आम ग्रामीणों और गौपालकों को इस समिति से जोड़ा जाएगा, जिससे उनके दुग्ध उत्पाद सीधा सरकार खरीदेगी।
बकौल कृषि मंत्री, वर्तमान में जिला कांगड़ा के अंतर्गत 4 सहायक पंजीयक सहकारी सभाएं वृत कार्यरत हैं। इस समय जिला में 1058 विभिन्न प्रकार की सहकारी सभाएं कार्यरत है। इन सभाओं में 5 लाख से अधिक सदस्य हैं।
उन्होंने बताया कि इन सदस्यों का भागधन लगभग 101 करोड़ रूपये है, वहीं इन सभाओं की कार्यशील पूंजी लगभग 12016 करोड़ रूपये है। उन्होंने कहा कि सरकार सहकारी सभाओं को आर्थिक रुप से सशक्त व स्वाभलम्बी वनाने के लिये निरन्तर प्रयासरत है। सरकार द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली, खाद व बीज मुख्य रूप से उपलब्ध करवाये जा रहे हैं।
सहकार से जुड़ा है गरीब, उन्हें करें सशक्त
इस दौरान कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक के अध्यक्ष कुलदीप पठानिया ने कहा कि सहकार के साथ गरीब व्यक्ति जुड़ा है, उन्हें सशक्त करने की दिशा में सहाकारी सभाओं को काम करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सहकारिता का आंदोलन स्वतंत्रता संग्राम के काल से ही अनवरत चल रहा है। उन्होंने कहा कि आज भी सहकारिता की उतनी ही जरूरत है जितनी उस समय थी।
उन्होंने कहा कि सहकारिता के क्षेत्र में आज मिल जुलकर काम करने की बेहद आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सहकारिता के माध्यम से जब आम व्यक्ति के जीवन में सुधार आएगा तभी उसकी सार्थकता सिद्ध होगी। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में कार्यरत सहकारी सभाओं को आर्थिक मजबूती देने के लिए कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक सभाओं को अधिक ब्याज देने पर कार्य कर रहा है।