जोगिंदरनगर। नारी घर की चारदीवारी में चूल्हे चौके तक ही सिमित है, यह कहना गलत होगा। महिला अगर ठान ले तो कुछ भी कर सकती है। चाहे वह परिवार के पालन पोषण की बात ही क्यों न हो। बस जरूरत है तो जज्बे और जुनून और सकारात्मक सोच की।
ऐसा ही साबित कर दिखाया है मंडी जिला की इन महिलाओं ने। कोविड के दौरान जब परिवार की आय के साधन बंद हो गए तो महिलाओं ने घर की दहलीज से बाहर निकलकर पठानकोट-मंडी नेशनल हाईवे राष्ट्रीय उच्च मार्ग पर सड़क किनारे सब्जी बेचने शुरू कीं।
इससे न केवल उन्हें उस मुश्किल दौर में आय का एक नया जरिया मिला, बल्कि घर में तैयार होने वाली मौसमी फल व सब्जियां बेचने को एक मार्केट भी उपलब्ध हुई।
पठानकोट-मंडी राष्ट्रीय उच्च मार्ग पर जोगिंदर नगर के गलू से लेकर गुम्मा नामक स्थान तक लगभग दो दर्जन से अधिक महिलाएं प्रतिदिन सड़क किनारे मौसमी फल व सब्जियां बेचते हुए नजर आ जाएंगी।
ये मेहनतकश महिलाएं प्रतिदिन अपने घर से लगभग एक से डेढ़ किलोमीटर का सफर तय कर सड़क तक पहुंचती हैं। इस दौरान वे खेतों में तैयार मौसमी फल व सब्जियों को पीठ पर उठाकर न केवल सड़क तक पहुंचाती हैं, बल्कि इन्हें बेचने का भी कार्य कर रही हैं।
इससे न केवल उन्हें परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए धनराशि प्राप्त हो जाती है, बल्कि घर में प्राकृतिक तौर पर तैयार इन मौसमी फल व सब्जियों को एक मार्केट भी उपलब्ध हो रही है।
जब इस संबंध में कुछ महिलाओं से बातचीत की तो इनका कहना है कि कोविड के दौरान जब परिवार की आय के साधन बंद हो गए थे, तो उन्होंने सड़क किनारे बैठकर फल व सब्जियां बेचनी शुरू की।
इससे न केवल उन्हें उस मुश्किल दौर में आय का एक नया जरिया मिला, बल्कि घर में तैयार होने वाली मौसमी फल व सब्जियां बेचने को एक मार्केट भी उपलब्ध हुई।
शुरूआती दौर में मात्र कुछ महिलाएं ही सामने आई, लेकिन वर्तमान में यह आंकड़ा दो दर्जन से भी अधिक का हो चुका है। इनका कहना है कि इस कार्य से न केवल उन्हें अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए जरूरी धनराशि प्राप्त हो रही है, बल्कि उन्हें समाज के बीच स्वयं को स्थापित करने का एक अवसर भी मिल रहा है। ये महिलाएं अब पूरा वर्ष भर मौसम आधारित फलों व सब्जियों को बेचने का कार्य कर रही हैं।
इसी बीच सब्जियां खरीदने के लिए रूके कुछ यात्रियों से बातचीत की तो इनका भी कहना है कि ग्रामीण महिलाओं द्वारा बेचे जा रहे ये उत्पाद जहां पूरी तरह से प्राकृतिक हैं तो वहीं कीमत बाजार भाव से भी कुछ कम हैं, जिसका सीधा असर उनकी सेहत के साथ-साथ आर्थिकी पर भी पड़ता है।
साथ ही कहना है कि प्राकृतिक तौर पर तैयार सब्जियां बाजारों में आजकल बमुश्किल से ही मिल पाती हैं, लेकिन आज वे यहां से टमाटर, भिंडी, तोरी, देसी ककड़ी, करेला, घीया, कद्दू, घंघरी, प्याज, आलू, अदरक, लहसुन, मूली इत्यादि खरीद कर ले जा रहे हैं जो पूरी तरह से प्राकृतिक तौर पर उगाए गए हैं तथा इनकी पौष्टिकता भी अधिक है।