हिमाचल में बढ़ रहे स्क्रब टाइफस के मामले : अब तक तीन की गई जान, 130 लोग पॉजिटिव
ewn24news choice of himachal 25 Aug,2023 9:28 pm
पीलिया और आई फ्लू के भी आ रहें केस
शिमला। हिमाचल प्रदेश में आसमानी आफत के साथ अब एक और मुसीबत पैर पसारने लगी है। प्रदेश में स्क्रब टाइफस के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी शिमला में 590 लोगों के स्क्रब टाइफस के टेस्ट किए गए हैं जिनमें 130 लोग पॉजिटिव पाए गए और तीन लोगों की बीमारी के कारण अब तक मौत भी हो चुकी है। इसके अलावा पीलिया के मामले और आई फ्लू के मामले भी बढ़ रहे हैं। पीलिया के 82 मामले सामने आ चुके हैं और आई फ्लू के भी 10 से 15 मामले आईजीएमसी में हर सामने आ रहे हैं।
आईजीएमसी के एमएस डॉ राहुल राव ने बताया कि बरसात के दिनों में स्क्रब टाइफस के अधिक मामले सामने आते है पिछले लगभग 10 साल से स्क्रब टाइफस से सैकड़ो लोगों की मौत हो चुकी है। स्क्रब टाइफस एक जीवाणु से संक्रमित पिस्सू के काटने से फैलता है जो खेतों, झाड़ियों व घर के आसपास घास में रहने वाले चूहों में पनपता है। जीवाणु चमड़ी के माध्यम से शरीर में फैलता है और स्क्रब टाइफस बुखार बन जाता है। लोगों को एहतियात बरतनी चाहिए और इसके लक्षण दिखने पर तुरंत स्थानीय अस्पताल में इलाज करवाना चाहिए।
इसके लक्षणों में बुखार और ठंड लगना शामिल है। इसके बाद सिरदर्द, शरीर में दर्द और मांसपेशियों में दर्द होता है जैसा कि कोविड के मामले में होता है। हालांकि, एक स्क्रब टाइफस रोगी कोविड -19 के कई मामलों के विपरीत गंध और स्वाद बना रहता है। कुछ रोगियों में जोड़ों में दर्द भी होता है, जो चिकनगुनिया का लक्षण है।
हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि बीमारी का शुरुआती स्तर पर पता लगना बहुत जरूरी है। अगर कोई स्क्रब टाइफस से संक्रमित हो जाता है, तो व्यक्ति को एंटीबायोटिक डॉक्सीसाइक्लिन से इलाज करना चाहिए। जिन लोगों का डॉक्सीसाइक्लिन के साथ जल्दी इलाज किया जाता है, वे आमतौर पर एक सप्ताह के भीतर ठीक हो जाते हैं।
स्क्रब टाइफस को रोकने के लिए अभी कोई वैक्सीन नहीं है। यह संक्रमण उन जगहों पर जाने से बचना चाहिए जहां यह स्क्रब टाइफस आम है। यह कीड़ा घास, पौधों या ज्यादा नमी वाले स्थानों पर होता है।