मंडी। विशेष न्यायाधीश -1 मंडी की अदालत ने चिट्टा (हेरोइन) के एक अहम मामले में फैसला सुनते हुए पांच दोषियों राजकुमार पुत्र विधी चंद , निवासी जलपेहड़ तहसील जोगिंदर नगर जिला मंडी, छविन्द्र कुमार पुत्र मनोहर लाल गांव सुनाग डाकघर निहरी तहसील निहरी जिला मंडी, प्रदीप सेन पुत्र भीम सेन गांव धारंडा तहसील सदर जिला मंडी, जीत सिंह पुत्र इन्द्र सिंह निवासी गांव जनेड़ डाकघर रन्धाड़ा तहसील सदर जिला मंडी और मोहम्मद इरफान पुत्र शुक्रदीन निवासी बथेरी उप तहसील कटोला जिला मंडी को व्यावसायिक मात्रा में चिट्टा रखने के दोष में प्रत्येक दोषी को 14 वर्ष के कठोर कारावास के साथ 1 लाख 40 हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माना न देने पर प्रत्येक दोषी को 16 महीने का अतिरिक्त साधारण कारावास भुगतना होगा ।
जिला न्यायवादी मण्डी एवं विशेष लोक अभियोजक विनोद भारद्वाज ने बताया कि 20 दिसंबर 2023 को पुलिस थाना सदर मंडी की एक पुलिस टीम नियमित गश्त व नाकाबंदी के लिए रवाना हुई थी। बराधीवीर में सड़क पर मौजूद थी, उसी समय करीब 1 बजकर 50 मिनट दिन को पुलिस को कुछ खास सूत्रों से सूचना मिली कि एक कार नेरचौक की तरफ से मंडी की तरफ आ रही है, जिसमें 5 व्यक्ति बैठे हैं, जो चिट्टा बेचने का धंधा करते हैं। तथा इस समय भी उक्त कार में चिट्टा लेकर मंडी की तरफ आ रहे हैं।
सूचना के आधार पर पुलिस द्वारा तलाशी के लिए सभी औपचारिकताएं पूरी करने और स्वतंत्र गवाहों को बुलाकर अग्निशमन विभाग बराधीवीर के कार्यालय से 50 मीटर आगे नाका लगाकर उक्त कार का मौका पर इंतजार किया। करीब 3 बजकर 15 मिनट दिन उक्त कार नेरचौक की तरफ से मंडी की तरफ आई, जिसे पुलिस अधिकारी द्वारा हाथ का इशारा करके रोका गया।
कार में चालक के साथ 4 अन्य व्यक्ति बैठे थे, जो पुलिस को देख कर घबराए हुए प्रतीत हो रहे थे। कार में बैठे सभी व्यक्तियों से गवाहों के सामने इनके नाम व पता पूछा गया। कार चालक ने अपना नाम राजकुमार पुत्र विधी चंद गांव जलपेहड तहसील जोगिन्द्रनगर जिला मंडी, परिचालक सीट पर बैठे व्यक्ति ने अपना नाम छविन्द्र कुमार पुत्र मनोहर लाल गांव सुनाग डाकघर निहरी तहसील निहरी जिला मंडी, चालक के पीछे वाली सीट पर बैठे व्यक्ति ने अपना नाम प्रदीप सेन पुत्र भीम सेन गांव धारण्डा तहसील सदर जिला मंडी, बीच वाली सीट पर बैठे व्यक्ति ने अपना नाम जीत सिंह पुत्र इन्द्र सिंह गांव जनेड़ डाकघर रन्धाड़ा तहसील सदर जिला मंडी और परिचालक के पीछे वाली सीट पर बैठे व्यक्ति ने अपना नाम मोहम्मद इरफान पुत्र शुक्रदीन निवासी बथेरी जिला मंडी बताया।
इसके उपरांत तलाशी की कुछ अन्य औपचारिकताओं को पूरा किया गया। कार की तलाशी कार में बैठे 5 व्यक्ति राजकुमार, छविन्द्र कुमार, प्रदीप सेन, जीत सिंह, मोहम्मद इरफान व गवाहों की मौजूदगी में ली गई।
तलाशी के दौरान कार के चालक के फूट मेट को उठाकर चेक किया तो उसके नीचे एक नीले रंग का छोटा बैग बरामद हुआ,. जिसमें एक प्लास्टिक लिफाफा था। लिफाफे के अंदर सफेद रंग का पाउडर नुमा पदार्थ दिखाई दे रहा था।
उपरोक्त प्लास्टिक के लिफाफे में पाउडर नुमा सफेद रंग के पदार्थ को ड्रग डिटेक्शन किट से चेक किया तो यह बरामद पाउडरनुमा पदार्थ चिट्टा पाया गया। इसे तोला गया तो यह कुल भार 268 ग्राम पाया गया। बरामद चिट्टा 268 ग्राम व गाड़ी कार नंबर HP01M 1714 Etios को बतौर सबूत पुलिस ने अपने कब्जे में लिया। इस मामले में जांच पूरा होने पर थाना अधिकारी ने मामले के चालान को माननीय न्यायालय में पेश किया।
जिला न्यायवादी मंडी ने यह भी बताया कि इस मामले में अभियोजन पक्ष ने न्यायालय के समक्ष 16 गवाह पेश किए, जबकि अभियुक्तों द्वारा भी अपने बचाव में 2 गवाह पेश किए गए। न्यायालय ने दोनों पक्षों के तर्क-वितर्क को सुनने के पश्चात अभियोजन पक्ष के उक्त 16 गवाहों की गवाही को सही मानते हुए प्रत्येक दोषी को नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रोपिक पदार्थ (एनडीपीएस) की धारा 21 (c ) और 29 के तहत 14 वर्ष के कठोर कारावास के साथ 1,40,000/- के जुर्माने की सजा सुनाई और यदि दोषी जुर्माना देने में असफल रहते हैं तो 16-16 महीने का अतिरिक्त साधारण कारावास भुगतना होगा।
दोषियों को सजा सुनाते समय मान्यायालय ने जब दोनों पक्षों की दलीलों को सुना तो अभियोजन पक्ष की तरफ से यह विशेष दलील दी गई कि यह अपराध समाज के खिलाफ है और युवा पीढ़ी को पतन की ओर धकेल रहा है। इस मामले को अधिक प्रभावी बनाने के लिए अभियोजन पक्ष ने न्यायालय के समक्ष उच्च न्यायालय द्वारा निर्णित सोनू बनाम हिमाचल प्रदेश सरकार (Cr.।J 2024 page 2295) फैसले का उदाहरण पेश करते हुए न्यायालय से इस मामले में कड़ी सजा की मांग की थी।
उन्होंने यह भी बताया कि यह मंडी जिले में चिट्टे (हेरोइन) की व्यवसायिक मात्रा का पहला मामला है, जिसमें दोषी से बड़ी मात्रा में चिट्टा बरामद हुआ है। यह मात्र इतनी अधिक है कि यह आम जनता में पहुंचा दी गई होती तो इससे लगभग 3000 लोगों को नशे की लत लगाई जा सकती थी। उक्त दोषियों को कानून के कटघरे तक लाना और सजा दिलवाना पुलिस के काबिल पर्यवेक्षण अधिकारी के सही पर्यवेक्षण और जांच अधिकारियों के सही अन्वेषण का नतीजा है।