शिमला। हिमाचल प्रदेश पंचायती राज अधिनियम 1994 की धारा-11(क) प्रावधानानुसार ग्राम पंचायत, को पंचायत क्षेत्र में भटकते लावारिस पशुओं की पहचान होने पर संधारित रिकॉर्ड के आधार पर उसके स्वामी पर जुर्माना अधिरोपित करने का प्रावधान है। जुर्माने की राशि प्रथम अपराध के लिए सात सौ रुपए होगी।
यदि ग्राम पंचायत ऐसे लावारिस पशुओं की पहचान चिन्ह के साथ छेड़छाड़ या उसको विकृत करने के कारण पहचान करने में असफल रहती है तो वह ऐसे मामले की रिपोर्ट नजदीकी पशु औषधालय के प्रभारी को करेगी, जो भटकते (लावारिस) पशु को नजदीकी गौसदन/गौशाला को सौंपेगे। यह जानकारी हिमाचल विधानसभा में बजट सत्र के दौरान सरकाघाट के विधायक दलीप ठाकुर और मनाली के विधायक भुवनेश्वर गौड़ के सवाल के जवाब में पशु पालन मंत्री चौधरी चंद्र कुमार ने मुहैया करवाई है।
जानकारी दी गई कि वर्तमान में प्रदेश में 267 गौशालाओं में 22,119 गौवंश को आश्रय दिया गया है। ”गोपाल“ योजना के अंतर्गत गौशालाओं में आश्रित गौवंश के लिए 700 रुपए प्रति माह प्रति गौवंश सहायता के रूप में दी जा रही है। हिप्र गौ सेवा आयोग गौसदनों को सुदृढ़ करने के लिए एक वित्तीय वर्ष में पांच लाख रुपए तक की पूंजीगत सहायता उपलब्ध करवाता है।
नये गौसदन के निर्माण के लिए हिप्र गौ सेवा आयोग दस लाख रुपए तक की सहायता भी प्रदान करता है। हिप्र गौसेवा आयोग के लिए वित्तीय संसाधन जुटाने हेतु सरकार ने मंदिर न्यासों की कुल आय का 15 प्रतिशत व शराब पर एक रुपए पचास पैसे गौवंश सेस प्रति बोतल लगाया है।
हिप्र गौ सेवा आयोग ने चारे की कमी से जूझ रहे गौसदनों को सस्ती दरों पर चारा उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर जिला कांगड़ा में साईलेज ईकाई की स्थापना हेतु 33.00 लाख रुपए की राशि एक मुश्त जारी की है। गत तीन वर्ष में 20 फरवरी, 2025 तक प्रदेश में हिप्र गौसेवा आयोग द्वारा 24 गौसदन स्थापित किए गए हैं।
इसके अतिरिक्त बेसहारा पशुओं की समस्या के स्थाई समाधान, गौवंश को समीप के गौसदनों में रखने के लिए तथा नए गौसदनो के निर्माण व रखरखाव/संचालन के लिए राज्यस्तरीय टास्क फोर्स का गठन किया गया है। गौसदनों में आश्रित गौवंश के लिए 700 रुपए प्रति माह प्रति गौवंश सहायता के रूप में दी जा रही है।
गौसदनों को सुदृढ़/विस्तार करने के लिए एक वित्तीय वर्ष में पांच लाख रुपए तक की पूंजीगत सहायता उपलब्ध करवाई जाती है। यह राशि कम से कम 25 अतिरिक्त बेसहारा गौवंश को आश्रय देने की शर्त पर प्रदान की जाती है। बेसहारा गौवंश से होने वाले नुकसान की भरपाई हेतु सरकार की कोई योजना नहीं है। गत वर्ष से 20 फरवरी, 2025 तक प्रदेश में गौ-तस्करी के कुल 10 मामले पंजीकृत हुए हैं।