ऋषि महाजन/नूरपुर। नेशनल हाईवे -154 पर सफर करना आम जनता के लिए किसी खतरे से कम नहीं है। करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद यह हाईवे सुविधा देने के बजाय मौत का सफर बन चुका है।
बंद पड़ी नालियां, जगह-जगह धंसी सड़क और गहरे गड्ढे इसे हादसों का अड्डा बना चुके हैं। सवाल साफ है आखिर जिम्मेदार कौन? सरकार और विभाग या फिर आम जनता?
बता दें कि जसूर से नूरपुर और उससे आगे का सफर लोगों के लिए रोज का खतरा बन गया है। सड़क धंसने और गड्ढों से वाहन चालक हर वक्त जान जोखिम में डालकर चलते हैं, लेकिन मरम्मत के नाम पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा। हाईवे किनारे बनी नालियां पूरी तरह बंद पड़ी हैं।
बरसात का पानी सड़कों पर बहकर नीचे की मिट्टी को खोखला कर रहा है, जिससे सड़कें लगातार धंस रही हैं। ग्रामीणों का कहना है कि कई जगह नालियों पर लोगों ने कब्जा कर लिया, तो कहीं विभाग सफाई करने में नाकाम रहा।
भारी वाहनों की लगातार आवाजाही से गड्ढे और गहरे होते जा रहे हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि बार-बार शिकायतों के बावजूद विभाग के अधिकारी नींद से जागने को तैयार नहीं। पानी का गलत बहाव सड़क और पहाड़ियों को अस्थिर कर रहा है। कभी भी सड़क धंसने या पहाड़ी दरकने का खतरा बना रहता है। यात्रियों का कहना है कि इस मार्ग पर सफर करना अब जान से खेलने जैसा हो गया है।
क्षेत्र के लोगों का कहना है जब करोड़ों रुपये खर्च कर राष्ट्रीय राजमार्ग बनाया गया, तो उसकी देखरेख क्यों नहीं हो रही है। इस संदर्भ में जब एनएच के पालमपुर स्थित अधिकारी तुषार से फोन पर बात की गई, तो उन्होंने दावा किया नालियां समय-समय पर साफ की जाती हैं। जहां दिक्कत है, वहां काम किया जाएगा, लेकिन जमीनी हालात उनकी बातों को झुठला रहे हैं।
वहीं, जितनी जिम्मेदारी जनता की है, उतना ही बड़ा दायित्व सरकार और विभाग का भी। सवाल यह है कि आखिर मौत के इस सफर को रोकने के लिए ठोस पहल कब होगी?