शिमला। हिमाचल प्रदेश में सरकार ने विरासत के इंतकाल के शुल्क में बढ़ोतरी की है। यह बढ़ोतरी अधिसूचना जारी होने की तिथि यानी 12 जून 2023 से लागू की गई है। यह जानकारी हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान ऊना के विधायक सतपाल सत्ती के सवाल के जवाब में राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने मुहैया करवाई है।
इंतकाल शुल्क में बढ़ोतरी के कारण का जिक्र करते हुए बताया गया कि 22 जून 2023 से पहले इंतकाल संबंधी विभिन्न प्रविष्टियों पर शुल्क वर्ष 1992 में जारी अधिसूचना के आधार पर लिया जा रहा था, लेकिन समय के साथ-साथ शुल्क में वृद्धि करना आवश्यक होने के कारण नई दरें लागू की गई हैं।
जब प्रविष्टि (हिमाचल प्रदेश अभिधृति और भूमि सुधार अधिनियम 1972 की धारा 118 के अधीन सरकार की अनुमति के पश्चात निष्पादित विलेख के सिवाए) किसी रजिस्ट्रीकृत विलेख या न्यायालय की डिक्री या आदेश या भू राजस्व अधिनियम के अध्याय IX के अधीन किसी राजस्व अधिकारी द्वारा किए गए विभाजन के आदेश या खानगी तकसीम के उस अभिलेख में दर्ज करने के निर्देश द्वारा अधिकार या हित के अर्जन के संबंध हो तो प्रत्येक भू धृति (Land Holding) के स्वत्वधारी (Proprietary) से अधिकतम रुपए 500 के अध्यधीन रुपए 100 फीस प्रभार्य (Chargeable) होगी।
जब प्रविष्टि उत्तराधिकारी द्वारा किसी अधिकार या हित अर्जन से संबंधित हो तो प्रत्येक धृति के लिए अधिकतम 200 रुपए के अध्यधीन रहते हुए 50 रुपए लगेगी। जब प्रविष्टि किसी ऐसे हित या अधिकार से संबंधित हो जो उपरोक्त में अन्यथा उपबंधित न हो औऱ हिमाचल प्रदेश अभिधृति और भूमि सुधार अधिनियम 1972 की धारा 118 के अधीन सरकार की अनुमति के पश्चात विलेख के सिवाए हो तो प्रत्येक धृति के लिए अधिकतम 200 रुपए के अध्यधीन रहते हुए 50 रुपए अदा करनी होगी। जब प्रविष्टि (Entry) हिमाचल प्रदेश अभिधृति और भूमि सुधार अधिनियम 1972 की धारा 118 के अधीन सरकार की अनुमति के पश्चात निष्पादित रजिस्ट्रीकृत विलेख द्वारा किसी ऐसे हित या अधिकार के अर्जन से संबंधित हो तो प्रत्येक धृति के लिए अधिकतम 10 हजार रुपए के अध्यधीन रहते हुए 5 हजार रुपए होगी।