बिलासपुर। जिला बिलासपुर में श्री नयना देवी जी विधानसभा क्षेत्र के तहत पंजाब-हिमाचल सीमा पर स्थित बैहल-कौड़ावाली पंचायत के ग्रामीण इन दिनों अवैध खनन माफिया के आतंक से दहशत में हैं। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि रात के अंधेरे में खड्डों के किनारे मशीनों की गड़गड़ाहट साफ सुनाई देती है लेकिन प्रशासन और पुलिस मानो गूंगे-बहरे बन बैठे हैं।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि पंचायत क्षेत्र में अस्थायी पुलिस चौकी होते हुए भी खनन माफिया पूरी दबंगई से मशीनें उतारकर रेत-बजरी का अवैध दोहन कर रहे हैं। गांव के लोग गवाह हैं कि किस तरह खड्ड की जलधारा को मोड़ कर निजी खेतों की ओर बहा दिया गया है, जिससे उपजाऊ जमीनें कटाव की चपेट में आ रही हैं।
ग्रामीण सवाल उठा रहे हैं कि आखिर ये माफिया इतने बेखौफ क्यों हैं? क्या यह प्रशासन की मिलीभगत का संकेत नहीं है? ग्रामीणों का कहना है कि मानसून सिर पर है और भारी बारिश में अगर खड्डों का जलस्तर बढ़ा, तो निजी भूमि और लोगों की मेहनत की कमाई पानी में बह जाएगी।
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर समय रहते अवैध खनन पर लगाम नहीं लगी, तो सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेंगे। इसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन और सरकार की होगी।
स्थानीय लोगों ने बताया कि खनन विभाग व जिला प्रशासन को कई बार ज्ञापन सौंपे जा चुके हैं, लेकिन कार्रवाई की जगह आश्वासनों की घुट्टी पिलाई जाती रही। माफिया अब इतने बेलगाम हो चुके हैं कि खुलेआम मशीनों से खड्डों की छाती चीर रहे हैं।
खड्ड किनारे बसे किसानों की रातों की नींद उड़ चुकी है। मानसून से पहले ही कई जगहों पर जमीन दरकने लगी है। किसान डरे हुए हैं कि कहीं आने वाले दिनों में उनका खेत ही उनके हाथ से न निकल जाए।
गांव वालों का सीधा सवाल है जब रात को मशीनों की तेज़ आवाजें साफ सुनाई देती हैं तो क्या पुलिस और प्रशासन के कान बंद हो जाते हैं या फिर यह चुप्पी किसी मिलीभगत का हिस्सा है?
ग्रामीणों ने सरकार से गुहार लगाई है कि अवैध माइनिंग पर तुरंत प्रभावी रोक लगाई जाए, दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो और उनकी जमीनों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
जब इस पूरे मामले को लेकर जिला बिलासपुर की खनन अधिकारी बिंदिया से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि हम फॉरेस्ट और पुलिस के साथ संयुक्त रूप से मौके का निरीक्षण करेंगे। जो भी दोषी पाया जाएगा, उस पर कानून के तहत कड़ी कार्रवाई होगी। किसी भी कीमत पर दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।