सरकार की दो टूक- वापस नहीं लेंगे फैसला, बागवान समर्थन में
शिमला। हिमाचल प्रदेश में सेब सीजन जैसे ही चरम की तरफ बढ़ रहा है सेब की बिक्री को लेकर सरकार, बागवानों और आढ़तियों के बीच ठन गई है। दरअसल, सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने इस साल से मंडियों में सेब को किलो के हिसाब से बेचने का फैसला लिया है। यह आढ़तियों को रास नहीं आ रहा है। इसकी वजह ये है कि नई व्यवस्था से आढ़तियों का मोटा पैसा नहीं बन रहा है। परिणामस्वरूप किलो के हिसाब से सेब खरीदने को लेकर आढ़तियों ने हड़ताल कर दी है।
हिमाचल प्रदेश आढ़ती महासंघ के अध्यक्ष हरीश ठाकुर ने कहा कि किलो के हिसाब से सेब खरीद का स्वागत है लेकिन मंडियों में इतनी जगह नहीं है जिससे सेब को किलो के हिसाब से खरीदा जाए। सरकार पहले मंडियों में उचित जगह उपलब्ध करवाए या यूनिवर्सल कार्टन को लागू करे। उसके बाद आढ़तियों को किलो के हिसाब से सेब बेचने में कोई परेशानी नहीं है।
हरीश ठाकुर ने कहा कि कुछ तथाकथित बागवान संगठन राजनीतिक रोटियां सेकने के लिए उन पर आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने इसे हिमाचल की मंडियों को बर्बाद करने की साजिश बताया और सरकार को कोई बीच का रास्ता निकालने की मांग की है। यूनिवर्सल कार्टन से ही इसका स्थाई समाधान हो सकता है। कल शाम तक उनकी सांकेतिक हड़ताल है सरकार उनसे बातचीत करके हल निकाले।
वहीं, फल, फूल सब्जी उत्पादक संघ के अध्यक्ष हरीश चौहान और अन्य बागवानों का कहना है कि प्रदेश सरकार का किलो के हिसाब से सेब बेचने का फैसला बागवानों के हित में है। ऐसे में किलो के हिसाब से ही आढ़ती मंडियों में खरीदें। कुछ आढ़ती अपने निजी फायदे के लिए बागवानों का शोषण करते रहे हैं जो अब सहन नहीं होगा। बागवान किलो के हिसाब से सेब बिक्री से खुश हैं। कुछ आढ़ती अपने फायदे के लिए इस व्यवस्था को फेल करने में तुले हैं ताकि मंडियों में वह अपनी मनमानी कर सकें।
उधर बागवानी मंत्री जगत नेगी ने दो टूक साफ कर दिया है कि प्रदेश सरकार ने किलो के हिसाब से सेब बेचने का जो फैसला लिया है वह किसी भी सूरत में वापस नहीं किया जाएगा। आढ़तियों को किलो के हिसाब से ही सेब खरीदना होगा। इसका उल्लंघन करेगा उसके खिलाफ कड़ी कार्यवाही अमल में लाई जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार ने 24 किलो के हिसाब से यूनिवर्सल कार्टन प्रणाली की ग्रीडिंग के तहत सेब बेचने का फैसला लिया है ताकि बागवानों को लूट से बचाया जा सके।