बहादुर खिलाड़ियों के लिए बिल्कुल नहीं हो प्रयोग
पालमपुर। क्रिकेट खिलाड़ियों के लिए 'नीलामी' शब्द का प्रयोग करने को लेकर हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने बड़ा सवाल उठाया है। शांता कुमार के सवाल ने चर्चा छेड़ दी है कि क्या खिलाड़ियों के लिए नीलामी शब्द सही या नहीं। खासकर महिला खिलाड़ियों के लिए। हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री शांता कुमार ने फेसबुक पोस्ट शेयर करते हुए कहा कि प्रातःकाल अखबार के प्रथम पृष्ठ पर पहली खबर को पढ़ते-पढ़ते ही कुछ सोचने लगा। सोचते-सोचते सिर शर्म से झुक गया।
खबर थी कि आईपीएल नीलामी में भारत की कोई बेटी सबसे अधिक डेढ़ करोड़ में बिकी, कोई बेटी 40 लाख रुपए में बिकी, कोई बेटी नीलामी में बहुत सस्ती बिकी और कोई बेटी बहुत महंगी बिकी। आईपीएल खेलों के लिए इसी प्रकार हर वर्ष नीलामी लगती है और देश के बहादुर खिलाड़ी खरीदें और बेचे जाते हैं।
सच्चाई यह है कि उस अर्थ में न तो कोई नीलामी होती है और न ही कोई खरीदा व बेचा जाता है। वास्तव में कोई संस्था खेलने के लिए किसी खिलाड़ी को धन से सम्मानित करती है।
अच्छे खिलाड़ियों को सम्मानित करने के लिए संस्थाओं का आपसी मुकाबला होता है। शांता कुमार ने कहा भाषाएं इतनी दिवालिया नहीं हुई हैं कि इस गौरवपूर्ण कार्य के लिए अच्छे शब्द न मिलें। मुझे समझ नहीं आता नीलामी में खिलाड़ियों का लाखों करोड़ों में खरीदा और बेचा जाना क्यों लिखा जाता है। वस्तुएं खरीदी और बेची जाती हैं। दुर्भाग्य से भारत में कभी-कभी नेताओं की भी नीलामी होती है, वे भी खरीदे और बेचे जाते हैं। परन्तु इन्हीं शब्दों का प्रयोग भारत के बहादुर खिलाड़ियों के लिए बिल्कुल नहीं किया जाना चाहिए।
भारत के खिलाड़ियों को भी इस शब्दों के प्रयोग का विरोध करना चाहिए। उन्होंने भारत सरकार के खेल मंत्री अनुराग ठाकुर से विशेष आग्रह किया है कि इन शब्दों का प्रयोग न किया जाए। ये खिलाड़ी किसी संस्था के लिए खेलते हैं। कोई संस्था इन खिलाड़ियों को खेलने के लिए लाखों करोड़ों से सम्मानित करती है। उन्होंने कहा मुझे विश्वास है कि हिमाचल के योग्य युवा नेता अनुराग ठाकुर इस महत्वपूर्ण विषय पर निर्णय लेकर एक ऐतिहासिक काम करेंगे।