हिमाचल हाईकोर्ट का बड़ा फैसला : डीजीपी कुंडू और एसपी कांगड़ा को पदों से हटाने के आदेश
ewn24news choice of himachal 26 Dec,2023 6:25 pm
शिमला। पालमपुर के कारोबारी निशांत कुमार शर्मा केस में हिमाचल हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। हिमाचल हाईकोर्ट ने डीजीपी संजय कुंडू और एसपी कांगड़ा शालिनी अग्निहोत्री को वर्तमान पदों से हटाने के आदेश दिए हैं।
मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने गृह सचिव को इस बाबत शीघ्र ही जरूरी कदम उठाने के आदेश जारी किए हैं।
हिमाचल हाईकोर्ट ने पुलिस के इन दोनों आलाधिकारियों को ऐसे पदों पर तैनात करने के आदेश दिए जहां से इन दोनों को मामले में दर्ज प्राथमिकियों की जांच को प्रभावित करने का कोई अवसर न मिले। कोर्ट ने यह आदेश जारी करते हुए कहा कि इस मामले में यह पता नहीं क्यों गृह सचिव ने अपनी आंखे मूंद ली।
कोर्ट ने कहा कि मामले की निष्पक्ष जांच और न्याय न केवल होना चाहिए बल्कि दिखना भी चाहिए के सिद्धांत को देखते हुए उक्त अधिकारियों का मौजूदा पदों पर रहना वाजिब नहीं होगा।
पालमपुर के कारोबारी निशांत कुमार शर्मा की सुरक्षा से जुड़े मामले पर सुनवाई के बाद हिमाचल हाईकोर्ट ने उपरोक्त आदेश जारी किए हैं। इस मामले में प्रार्थी कारोबारी निशांत ने अपने और परिवार की सुरक्षा को खतरे बारे हाईकोर्ट को ईमेल के माध्यम से अवगत करवाया था।
इस ईमेल को आपराधिक रिट याचिका में तब्दील करते हुए हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश पारित कर एसपी शिमला और एसपी कांगड़ा को प्रार्थी को उचित सुरक्षा मुहैया करवाने के आदेश दिए थे।
पिछली सुनवाई के दौरान एसपी कांगड़ा की ओर से बताया गया था कि प्रार्थी की शिकायत पर दर्ज प्राथमिकी में लगाए आरोपों की जांच अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कांगड़ा को सौंपी जा चुकी है।
मामले में एसपी शिमला ने इस मामले में ऊंचे लोगों की संलिप्तता का अंदेशा जताया था। एसपी शिमला की जांच में प्रथम दृष्टया पाया गया कि डीजीपी उक्त कारोबारी द्वारा बताए गए एक रसूखदार व्यक्ति के संपर्क में रहे।
जांच में पाया गया कि डीजीपी ने 27 अक्टूबर को निशांत को 15 मिस्ड कॉल की। जांच में यह भी सामने आया कि डीजीपी ने कारोबारी पर निगरानी रखी। जबकि एसपी कांगड़ा द्वारा मामले में देरी से प्राथमिकी दर्ज करने का कोई कारण नहीं बताया गया।
एसपी कांगड़ा कोर्ट को यह भी नहीं बता पाईं कि इस मामले में एसपी शिमला द्वारा की गई जांच में सामने आए तथ्यों का उपयोग कांगड़ा में दर्ज प्राथमिकी की जांच में उपयोग में क्यों नहीं लाए गए।
कोर्ट ने कहा कि इन तथ्यों के मद्देनजर मामले की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए उन्हें यह मामला अपने हाथों में लेने पर मजबूर होना पड़ा।
महाधिवक्ता अनूप रत्न ने बताया कि मामले की सुनवाई 21 दिसंबर को हो गई थी, आज आदेश आए हैं। कोर्ट ने डीजीपी संजय कुंडू और एसपी कांगड़ा को किंही और पदों पर लगाने के आदेश दिए हैं।
आदेशों में साफ किया कि जब तक दोनों पदों पर हैं, फेयर इंवेस्टिगेशन की उम्मीद नहीं है। कोर्ट ने आदेश में टिप्पणी की है कि जब पीड़ित निशांत शर्मा ने एसपी कांगड़ा से अप्रोच किया तो उन्होंने उपयुक्त कार्रवाई नहीं की। एक दो दिन तक कार्रवाई नहीं हुई।
कोर्ट का मानना है कि कार्रवाई हुई भी है तो प्रभावी तरीके से नहीं हुई है। कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि न्याय होना ही नहीं चाहिए, बल्कि दिखना भी चाहिए की न्याय हुआ है, ताकि समाज में स्पष्ट संदेश जाए।
डीजीपी को लेकर कोर्ट ने विस्तृत टिप्पणी की है कि उन्होंने फोन काल किए हैं। पीड़ित निशांत को सर्विलांस पर भी रखा है और कुछ पुलिस अधिकारियों को भी आदेश दिए हैं।
इसी के चलते डीजीपी संजय कुंडू और एसपी कांगड़ा शालिनी अग्निहोत्री को पदों से स्थानांतरित कर कहीं और लगाने के आदेश दिए हैं।
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