ऋषि महाजन/नूरपुर। हिमाचल प्रदेश की महाराणा प्रताप सागर झील (पौंग झील) में मछली उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए इस साल मत्स्य विभाग ने 62.52 लाख मछली बीज डाले हैं। यह बीज 70 मिमी से अधिक आकार के रखे गए, ताकि उनकी पैदावार और जीवित रहने की क्षमता बेहतर रहे।
मत्स्य विभाग के निदेशक विवेक चंदेल ने बताया कि इस बार प्रमुख प्रजातियों कतला (23.46 लाख), रोहू (24.06 लाख), मोरी (5 लाख) और ग्रास कार्प (10 लाख) के बीज डाले गए। यह प्रक्रिया झील के सिहाल, डाडासीबा और जंबल (बेही) जैसे इलाकों में सम्पन्न हुई। अंतिम चरण 25 सितंबर को फतेहपुर के सिहाल में संपन्न हुआ, जहां एसडीएम फतेहपुर विश्रुत भारती विशेष रूप से मौजूद रहे।
इस मौके पर विभागीय पर्यवेक्षक, सहायक निदेशक मत्स्य पालमपुर राकेश कुमार, सहायक निदेशक पौंग बांध संदीप कुमार, मत्स्य अधिकारी पंकज पटियाल, अंकुश धीमान, पंचायत नेरना के प्रधान सुशील चौधरी समेत स्थानीय मछुआरे और विभागीय स्टाफ भी मौजूद रहे।
बता दें कि पौंग झील से 2024-25 में कुल 3,87,533 किलो मछली का उत्पादन हुआ। इसकी बाजार कीमत करीब 8.92 करोड़ रही। विभाग को इस उत्पादन से 1.33 करोड़ की रॉयल्टी प्राप्त हुई। इस साल नंदपुर मत्स्य सहकारी सभा ने रिकॉर्ड 312 प्रति किलो की दर हासिल की, जो अब तक की सर्वाधिक कीमत है।
एसडीएम फतेहपुर विश्रुत भारती ने कहा कि बीज डालने की यह पहल झील के पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने के साथ-साथ मछुआरों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने की दिशा में अहम कदम है। उन्होंने कहा, पौंग झील से जुड़े मछुआरों की आजीविका सुरक्षित करना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना हमारी प्राथमिकता है।