छात्र संगठनों ने एचपीयू प्रशासन के खिलाफ खोला मोर्चा
शिमला। हिमाचल प्रदेश विवि आजकल अंडर ग्रेजुएट (यूजी)
परीक्षा परिणाम को लेकर चर्चा में है। छह माह बाद यूजी प्रथम वर्ष का परीक्षा परिणाम तो निकाला, लेकिन इस परीक्षा परिणाम में प्रदेश के विभिन्न कॉलेजों में पढ़ने वाले 80 फीसदी छात्र फेल हो गए।
परीक्षा परिणाम के बाद कई छात्र सदमे में हैं। अभिभावकों को अपने बच्चों की चिंता हो रही है। कुछ के
आत्महत्या करने की कोशिशों की खबरें भी आ रही हैं।
वहीं, छात्र संगठनों ने भी
एचपीयू प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। छात्र संगठन हिमाचल प्रदेश विवि के खिलाफ धरने प्रदर्शन कर रहे हैं। छात्र आंदोलन से डरे विवि के वीसी से लेकर बड़े अधिकारी अपनी कुर्सी पर नज़र नहीं आए।
कांगड़ा के जयसिंहपुर की शगुन ने 10th व 12th में 94 और 95 फीसदी अंक प्राप्त किए थे और बीएससी कर रही थी, लेकिन उसको
फेल कर दिया। अधरंग के मरीज शगुन के पिता कश्मीर सिंह ने बताया कि परीक्षा परिणाम आने के बाद से बेटी सदमे में है और कुछ भी कर सकती है। बेटी के लिए वह एचपीयू (HPU) पहुंचे थे, लेकिन उन्हें किसी ने नहीं पूछा।
एबीवीपी (ABVP) के राज्य मंत्री आकाश नेगी का कहना है कि विवि द्वारा मामले को जल्द हल करने का आश्वासन दिया था, लेकिन 5 दिन के बाद छात्रों को अभी तक कोई राहत नहीं दी गई है, जिसके चलते आंदोलन को और तेज किया जाएगा।
उधर,
एसएफआई (SFI) ने भी हिमाचल विश्वविद्यालय परिसर में विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और विश्वविद्यालय प्रशासन पर छात्रों के भविष्य से साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाया। एसएफआई का कहना है कि कई विद्यार्थियों को 1-1 या 2-2 नंबर से फेल कर दिया गया है और कई सब्जेक्ट ऐसे हैं, जिसमें कि
विद्यार्थियों को नंबर ही नहीं मिले हैं। आधे अधूरे परीक्षा परिणाम को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ छात्रों क रोष है। एसएफआई 24 घंटे की सांकेतिक हड़ताल पर बैठ गई है। परिसर सचिव सुरजीत ने कहा कि यदि प्रशासन नहीं जागता है तो विश्वविद्यालय का घेराव करते हुए शहर के कॉलेजों सहित विश्वविद्यालय को ताला लगाया जाएगा।
हालांकि, एचपीयू प्रशासन ने अब विकल्प दिया है कि छात्र इसके लिए रि-चैकिंग और रि-इवेल्यूएशन के लिए अप्लाई कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें 300 रुपए फीस प्रति सब्जेक्ट देनी होगी। रि-चेकिंग में केवल जो कुल अंक दिए हैं उनका दोबारा जोड़ किया जाएगा, जबकि पुनर्मूल्याकंन में किसी अन्य शिक्षक से पेपर चेक करवाए जाएंगे। वैसे खराब परीक्षा परिणाम आने का कारण
कोविड भी माना जा रहा है। कोविड में दो साल छात्रों को प्रोमोट किया गया है तो ऐसे में
छात्र इस बार भी इसी तरह की मनोस्थिति में थे।