शिमला। राजधानी शिमला के संजौली में अवैध मस्जिद निर्माण मामले में शनिवार को नगर निगम आयुक्त कोर्ट में सुनवाई हुई। मामले की अगली सुनवाई 5 अक्टूबर को तय की गई है।
कोर्ट ने अगली तारीख पर वक्फ बोर्ड और संबंधि जेई को मस्जिद निर्माण से संबंधित लेटेस्ट स्टेटस रिपोर्ट दायर करने के निर्देश दिए गए हैं।
वहीं, मामले में संजौली के निवासियों की ओर से अदालत में पार्टी बनने को एप्लीकेशन दी गई।
संजौली लोकल रेजिडेंट (हिंदू संगठन) के एडवोकेट जगत पाल ने कहा कि कोर्ट में कमिश्नर ने वक्फ बोर्ड से पूछ कि 13 साल तक जो हुआ क्या आपको इसकी जानकारी है तो इसका जवाब वक्फ बोर्ड नहीं दे पाया।
अब वक्फ बोर्ड यह कह रहा है कि मस्जिद की जमीन उनकी है, लेकिन इसका रिकॉर्ड वह पेश नहीं कर पाए। पर हमारे पास उपलब्ध राजस्व रिकॉर्ड के अनुसार जमीन की मालिक हिमाचल सरकार है।
उस जमाबंदी में खसरा नंबर 36 में जो एक मस्जिद है वो गैर मुमकिन मस्जिद दिखाई गई है। गैर मुमकिन मस्जिद का मतलब सरकारी जमीन पर बनाई गई मस्जिद होता है।
हम किसी समुदाय के बारे में बात नहीं कर रहे, बल्कि अवैध निर्माण के बारे में बात कर रहे हैं। अवैध निर्माण किसी का भी हो वो नियमों के तहत टूटना चाहिए।
लोकल रेजिडेंट की ओर से अदालत में एक और एप्लिकेशन दी गई है, जिसमें कहा गया कि मस्जिद के कारण क्या-क्या परेशानी हो रही है। इस पर कोर्ट ने वक्फ बोर्ड से भी जवाब मांगा है।
वहीं, वक्फ बोर्ड के वकील भूप सिंह ठाकुर ने बताया कि कोर्ट ने पहली बार वक्फ बोर्ड को नोटिस जारी किए थे। नोटिस पर कोर्ट में पेश हुए और हमने डिटेल रिप्लाई फाइल किया है।
कोर्ट ने संबंधित जेई को लेटेस्ट स्टेटस रिपोर्ट निर्माण को लेकर दायर करने के लिए के आदेश दिए हैं। अगली सुनवाई में जेई स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करेंगे, उसके बाद हम उसका एग्जामिन करेंगे और फिर रिप्लाई फाइल करेंगे।
वक्फ बोर्ड के स्टेट ऑफिसर कुतुबदीन का कहना कि वक्फ बोर्ड ने वकील के माध्यम से रिप्लाई दायर किया है। 1947 के रिकॉर्ड अनुसार रिप्लाई किया है।
जमीन वक्फ बोर्ड की है। विवाद अवैध निर्माण का है, किसकी संपत्ति है यह नहीं है। वर्ष 2023 में एमसी शिमला ने नोटिस जारी किया था, उस दौरान भी पक्ष रखा। अब दोबारा समन आया तो आज रिप्लाई की है।
उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड को समुदाय के लोकल लोगों ने एक प्रार्थना पत्र दिया था। उन्होंने कहा था कि हमारी एक कमेटी गठित है। मस्जिद में नमाज पढ़ने के लिए जगह कम पड़ रही है, ऐसे में हम मस्जिद का दोबारा निर्माण करवाना चाहते हैं।
इसके बाद वक्फ बोर्ड ने शर्तों के तहत एनओसी दी थी। कहा था कि एमसी शिमला, डीसी शिमला आदि संबंधित एजेंसी से नक्शा पास करवाकर आगामी निर्माण कार्य किया जाए।
साथ ही अपने कॉस्ट और रिस्क पर निर्माण हो। वक्फ बोर्ड ने गलत काम के लिए एनओसी नहीं दी। अब यह कोर्ट ने देखना है कि गलत हुआ या सही हुआ है।
नमाज को लेकर समुदाय के लोगों के निर्देश दिए हैं कि बिना किसी हुड़दंग से नमाज पढ़ी जाए। क्योंकि मस्जिद के आसपास लोग रहते हैं। 95 फीसदी गैर मुस्लिम भाई वक्फ बोर्ड के किराएदार हैं।