कांगड़ा। कछियारी फोरलेन निर्माण के चलते राजकीय उच्च विद्यालय जोगीपुर स्कूल को जाने वाले रास्ते के बंद होने के मामले में ग्रामीण तल्ख हो गए हैं। लोगों ने दो टूक चेतावनी दी है कि अगर रास्ते का निर्माण नहीं किया तो धरना प्रदर्शन होगा।
ग्रामीण जोगीपुर पंचायत प्रधान रिंपल चौधरी और जोगीपुर एसएमसी के सदस्य राजकुमार की अध्यक्षता में दूसरी बार एसडीएम इशांत जसवाल से मिले। ग्रामीणों ने एसडीएम के समक्ष दोबारा इस समस्या को रखा।
ग्रामीणों ने एसडीएम को बताया कि ये काफी पुराना रास्ता है। बोदड़ बल्ला, कांगड़ा रेलवे स्टेशन की तरफ से जोगीपुर स्कूल आने वाले छात्रों के लिए रास्ता था। साथ ही जोगीपुर गांव के लोग भी श्मशान घाट जाने के लिए इसी रास्ते का प्रयोग करते थे।
अब स्कूली छात्रों और लोगों को लंबा चक्कर लगाकर आना जाना पड़ रहा है। एसडीएम ने लोगों की समस्या को सुना और खुद मौके का दौरा करने की बात कही। एसडीएम मंगलवार को एनएचएआई के अधिकारियों के साथ मौके का दौरा करेंगे।
जोगीपुर पंचायत प्रधान रिंपल चौधरी ने कहा कि जोगीपुर हाई स्कूल से बाईपास की तरफ से जो रास्ता जाता था, उसे एनएच ने निर्माण के दौरान तोड़ दिया गया। इसे अभी तक बनाया नहीं गया है। रास्ता बंद होने से स्कूल छात्रों को खासी परेशानी हो रही है।
गांव में किसी की मृत्यु हो जाए तो खड्ड में कपड़े धोने के लिए जाते थे तो इसी रास्ते का प्रयोग करते थे। वहीं, बोदड़ बल्ला में श्मशान घाट है। जहां रिहालपुर गांव के लोग अंतिम संस्कार के लिए इसी रास्ते से जाते थे, वो भी संपर्क टूट चुका है। ऐसे में लोगों को खासी परेशानी उठानी पड़ रही है।
उन्होंने कहा कि अंतिम बार एसडीएम कांगड़ा के पास आए हैं। फिर भी समस्या का हल नहीं होता तो ग्रामीणों को लेकर धरना-प्रदर्शन होगा। इसकी सारी जिम्मेदारी प्रशासन और एनएच अथॉरिटी की होगी।
बता दें कि जोगीपुर स्कूल में करीब 200 छात्र शिक्षा ग्रहण करते हैं। इसमें उच्च विद्यालय में 114 और प्राथमिक पाठशाला में 85 छात्र शिक्षा ग्रहण करते हैं।
जोगीपुर स्कूल को जाने वाला एक रास्ता फोरलेन के साथ मिलता था, जोकि फोरलेन निर्माण के दौरान कटाई में आने के चलते बंद हो गया है।
इस रास्ते से रेलवे स्टेशन कांगड़ा, बोदड़ बल्ला और टांडा की तरफ से करीब 50 छात्र स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने आते हैं।
रास्ता बंद होने से छात्रों को चार किलोमीटर का सफर तय कर स्कूल पहुंचना पड़ रहा है। ऐसे में छात्रों के अभिभावक अपने बच्चों को किसी दूसरे स्कूल में दाखिल करने का मन बना चुके हैं।