चंबा। द्रमण-चंबा वाया जोत सड़क मार्ग को नेशनल हाईवे बनाए जाने की मांग उठने लगी है। इससे ने केवल आपातकाल में चंबा से टांडा रेफर मरीजों को राहत मिलेगी, वहीं अन्य लोगों के लिए भी चंबा से कांगड़ा आदि का सफर सुगम होगा।
चंबावासियों नितिन शर्मा, शौर्य सिंह राणा, प्रवीण पुरी, अभिषेक ठाकुर, हितेश बेदी, मृणाल शर्मा, साहिल वशिष्ठ, कनव शर्मा, रितेश गुप्ता, संजय कुमार, मनीष राणा आदि ने कहा कि जिला चंबा को 2016 में द्रमण-चंबा हाईवे का जुबानी तोहफा मिला था। इससे जिला के सड़क नेटवर्क में सुधार की आस बंधी थी, लेकिन आज 8 वर्ष बीत जाने के बाद भी मामला सैद्धांतिक मंजूरी से आगे नहीं बढ़ पाया।
केंद्र सरकार ने पूरे देश से 117 पिछड़े जिलों का चयन किया है, जिन्हें विकास की बेहद जरूरत है। जिला चंबा ने उस सूची में स्थान पाया। जिला चंबा एक दूरदराज का इलाका है, जोकि अन्य क्षेत्रों से दूरी के चलते पिछड़ चुका है। यहां पर सरकारी मुलाजिम भी तबादला होने पर नीचे से लेकर ऊपर तक दौड़ लगाते हैं, ताकि किसी भी प्रकार से चंबा जाने से बच सकें।
वहीं, चंबा जिला में चिकित्सा के क्षेत्र में भी मुश्किलों का अंबार है। मरीजों को ज्यादातर टांडा भेजा जाता है। चंबा से टांडा वाया जोत, सिहुंता, द्रमण मार्ग से लगभग 60 किमी की दूरी कम होती है। अगर उक्त मार्ग को नेशनल हाईवे बनाया जाता है तो स्वाभाविक तौर पर सड़क की स्थिति बेहतर होगी, जोकि अभी बेहद तंग है। मरीजों का समय बचेगा, जोकि आपातकाल के समय किसी वरदान से कम नहीं है।
पर्यटन की दृष्टि से भी देखे तो चंबा में बेहद खूबसूरत पर्यटन स्थल है, जोकि की नक्शे पर आएंगे। फिलहाल मार्ग की संकीर्णता के चलते कुछ स्थल जैसे की जोत, चुराह, पांगी अभी तक पर्यटकों को लुभाने में उतने सफल नहीं हो पाए हैं। उक्त लोगों ने कांगड़ा-चंबा के सांसद राजीव भारद्वाज से मांग की है कि शीघ्र इस मार्ग को राष्ट्रीय राजमार्ग की मंजूरी दिलवाई जाए, ताकि जिला चंबा भी विकास के पथ पर अग्रसर हो सके।