शिमला। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश सरकार ने हिमाचल प्रदेश राज्य चयन आयोग को विभिन्न श्रेणियों के 21 पोस्ट कोड के परिणाम घोषित करने को स्वीकृति प्रदान की है।
ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि आयोग फॉरेंसिक्स सेवाएं विभाग में लैब असिस्टेंट (बायो एंड सीरोलॉजी) (पोस्ट कोड 961), भू-रिकॉर्ड विभाग में असिस्टेंट कम्प्यूटर प्रोग्रामर (पोस्ट कोड 966), तकनीकी शिक्षा एवं व्यवसायिक प्रशिक्षण विभाग में होस्टल अधीक्षक एवं पीटीआई (पोस्ट कोड 968), खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग में इंस्पेक्टर लीगल मेटिरियोलॉजी (पोस्ट कोड 969) का परिणाम घोषित होगा।
वहीं, मत्स्य विभाग में मत्स्य अधिकारी (पोस्ट कोड 978) और मुद्रण एवं स्टेशनरी विभाग में कॉपी होल्डर (पोस्ट कोड 982) के परिणाम सहित धर्मशाला नगर निगम में सफाई सुपरवाइजर (पोस्ट कोड 986), हिमाचल प्रदेश सामान्य उद्योग निगम में असिस्टेंट केमिस्ट (पोस्ट कोड 987), वर्कशॉप इंस्पेक्टर (वेल्डिंग) (पोस्ट कोड 991), वर्कशॉप इंस्ट्रक्टर (पैट्रन मेकिंग) (पोस्ट कोड 992) का रिजल्ट भी निकलेंगे।
सके अलावा वर्कशॉप प्रशिक्षक (मशीनिस्ट) (पोस्ट कोड 993), मनोवैज्ञानिक एवं पुनर्वास अधिकारी (पोस्ट कोड 994), तकनीकी शिक्षा में वर्कशॉप प्रशिक्षक (पोस्ट कोड 997), हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक लिमिटेड में आशुटंकक (पोस्ट कोड 995), हिमाचल पथ परिवहन निगम में जेओए (अकाउंट्स) (पोस्ट कोड 996), विधि अधिकारी (पोस्ट कोड 999), तकनीकी विश्वविद्यालय हमीरपुर जेओए (आईटी) (पोस्ट कोड 1000), हिमाचल प्रदेश मानव अधिकार आयोग में कनिष्ठ आशुलिपिक (पोस्ट कोड 1001), सहकारिता विभाग में किन्नौर जिला सहकारी विपणन एवं संघ लिमिटेड टापरी में सचिव (पोस्ट कोड 1002), जेई (आरकियोलॉजी) (पोस्ट कोड 1004) तथा भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग में प्रिज़र्वेशन असिस्टेंट (पोस्ट कोड 1006) के परिणाम घोषित करेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य के युवाओं को योग्यता के आधार पर रोज़गार के अवसर उपलब्ध करवाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि सत्ता में आने के उपरांत प्रदेश के युवाओं के लिए सरकारी क्षेत्र में 30 हजार पद सृजित किए गए और इन पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
उन्होंने कहा कि पिछली भाजपा सरकार ने रोजगार के नाम पर युवाओं को केवल ठगने का काम किया और पांच वर्ष के कार्यकाल के दौरान सरकारी क्षेत्र में केवल 20 हजार नौकरियां सृजित की गई, जिनमें से अधिकतर कानूनी दाव-पेच में फंस गई।