हमीरपुर। हिमाचल प्रदेश फसल विविधीकरण परियोजना (चरण-II) के अंतर्गत हमीरपुर स्थित राज्य परियोजना प्रबंधन इकाई में 21 अगस्त, 2024 से जिला परियोजना प्रबंधक इकाईवार चार दिवसीय "पीएमयू स्टाफ के लिए PDCA चक्र पर अवधारणात्मक प्रशिक्षण" कार्यक्रम की शुरुआत की गई।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य परियोजना में शामिल कृषि प्रसार अधिकारियों को PDCA चक्र (योजना-कार्य-निरीक्षण-कार्रवाई) के सिद्धांतों और उनके व्यावहारिक अनुप्रयोग के बारे में प्रशिक्षित करना है। PDCA चक्र एक महत्वपूर्ण प्रबंधन पद्धति है जो काम की गुणवत्ता को निरंतर बेहतर करने और परियोजना के उद्देश्यों को सफलतापूर्वक प्राप्त करने में सहायता प्रदान करती है।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए परियोजना निदेशक, डॉ. सुनील चौहान ने PDCA चक्र के महत्व पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कृषि प्रसार अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे किसानों के हित के अनुसार उनकी समस्याओं को ध्यान में रखकर अपने कार्यों का निष्पादन करें ताकि किसान और आपके बीच में कोई ऐसा अंतर न रहे जिससे वह आपके बताये रास्ते में न चले, जितना आप किसानों के बीच में रहेंगे उतने ही आप किसानों की समस्याओं का निपटान और बेहतर तरीके से कर पाएंगे।
उन्होंने कार्यों को तेज़ी से और प्रभावी ढंग से, प्रत्येक गतिविधि का सही तरीके से दस्तावेजीकरण करें और परियोजना की योजनाओं के सफल क्रियान्वयन के लिए किसानों के बीच जागरूकता बढ़ाएं।
उन्होंने कहा कि परियोजना के महत्वपूर्ण हस्तक्षेप, जैसे PMVRP और JICA वेजिटेबल गार्डन, किसानों की आय और कृषि उत्पादकता को बढ़ाने में सहायक हैं, इसलिए इनके सफल क्रियान्वयन के लिए विस्तार अधिकारियों को पूरी जिम्मेदारी के साथ काम करना होगा।
डॉ. चौहान ने इस बात पर विशेष जोर दिया कि "जैसा कि सभी जानते हैं, इस परियोजना के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए हर गतिविधि को PDCA चक्र की रणनीति के तहत योजना बनाकर, कार्यान्वित करके, जांच कर और सुधारात्मक कार्रवाई करके पूरा किया जाएगा।"
उनका यह संदेश अधिकारियों के लिए एक स्पष्ट मार्गदर्शन था कि परियोजना की प्रत्येक गतिविधि को सुनियोजित तरीके से संचालित करना आवश्यक है, जिससे लक्ष्य प्राप्ति सुनिश्चित हो सके।
प्रशिक्षण के पहले दिन, कई महत्वपूर्ण विषयों पर गहन चर्चा की गई। इनमें परियोजना के वर्तमान कार्यान्वयन की स्थिति, PDCA चक्र का व्यावहारिक अनुप्रयोग और फील्ड में विस्तार अधिकारियों की भूमिका और जिम्मेदारियों पर विचार-विमर्श शामिल था।
इसके अलावा, मॉडल उप-परियोजनाओं के चयन के मापदंडों पर भी चर्चा हुई, ताकि फसल विविधीकरण योजनाओं को सही ढंग से लागू किया जा सके। प्रतिभागियों ने परियोजना ढांचे के भीतर नवाचारी गतिविधियों का अन्वेषण किया और यह भी चर्चा की कि प्रशिक्षण के दौरान प्राप्त ज्ञान को अपने संबंधित कार्यालयों और उप-परियोजनाओं में कैसे लागू किया जा सकता है।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में परियोजना के वरिष्ठ सलाहकार, वित्त अधिकारी, उप परियोजना निदेशक,जिला परियोजना प्रबंधक, विषय वाद विशेषज्ञ और परियोजना से जुड़े अन्य प्रमुख अधिकारी भी शामिल हुए। यह कार्यक्रम हिमाचल प्रदेश के किसानों की आय बढ़ाने, फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित करने और कृषि उत्पादकता को सुधारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
अगले तीन दिनों तक चलने वाला यह प्रशिक्षण कार्यक्रम PDCA चक्र और इसके फील्ड में व्यावहारिक अनुप्रयोग पर और अधिक विस्तृत रूप प्रदान करेगा, जिससे कृषि प्रसार/विस्तार अधिकारी इन अवधारणाओं को अपने दैनिक कार्यों और परियोजना के व्यापक संदर्भ में प्रभावी ढंग से लागू कर सकें।