शिमला। हिमाचल प्रदेश में कर्मचारियों का एरियर और डीए लंबित पड़ा है। 15 अगस्त को सीएम द्वारा लंबित वित्तीय देनदारियों को लेकर कोई बड़ा ऐलान न होने से कर्मचारियों ने अब सरकार के खिलाफ आवाज मुखर करना शुरू कर दी है।
सचिवालय सेवाएं कर्मचारी महासंघ ने 21 अगस्त से सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने का ऐलान किया है, जिसका वन विभाग कर्मचारी महासंघ ने भी समर्थन का ऐलान किया है और साझा मंच बनाकर सरकार के खिलाफ लड़ाई लड़ने की बात कही है।
शिमला में पत्रकार वार्ता कर वन विभाग कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष प्रकाश बादल ने कहा कि सरकार कर्मचारियों को बताए कि क्यों उनको डीए और एरियर नहीं दिया जा रहा है। सरकार श्वेत पत्र जारी कर पैसे का हिसाब बताएं।
कर्मचारियों के नाम पर सरकार कर्ज ले रही है, लेकिन कर्मचारियों के लंबित वित्तीय देनदारियों का भुगतान नहीं हो रहा है, आखिर पैसा कहां जा रहा है। सेक्शन बजट के बिल पास नहीं हो रहे हैं।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू मिलने तक का समय नहीं दे रहे हैं। ऐसे में कर्मचारी अपनी समस्याएं कहां रखेंगे। मजबूरन कर्मचारियों को आंदोलन की राह अपनानी पड़ेगी। नई भर्तियां नहीं हो रही हैं और रिटायर लोगों को फिर से नियुक्तियां दी जा रही हैं।
वन विभाग में गर्मी के मौसम में बड़ा नुकसान हुआ है और पूरे के पूरे जंगल तबाह हो गए। वन विभाग के लगभग 300 फॉरेस्ट गार्ड फील्ड का काम छोड़ दफ्तरों में क्लर्क का काम कर रहे हैं और इसी तरह से 150 के आसपास रेंज ऑफिसर भी दफ्तरों में लगा दिए गए, जबकि उनका फील्ड का काम है।
सरकार फील्ड स्टाफ को दफ़्तर से हटाकर फील्ड में नहीं भेज रही। कुछ फॉरेस्ट गार्ड को दो से तीन-तीन बीट पर लगा दिया गया है, जिससे वे मानसिक तनाव झेल रहे हैं, जिससे होशियार सिंह मर्डर जैसे मामले सामने आते हैं। सरकार खाली पड़े पदों को भरने का काम करे और कर्मचारियों को आंदोलन के लिए मजबूर न करे।