तरनदीप सिंह/मंडी। हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला स्थित प्राचीन शिव मंदिर नागचला में इन दिनों बाबा शंभू भारती की याद में देसी घी के परांठे का भंडारा का लगाया जा रहा है। सावन मास में रोजाना 5000 से अधिक लोग परांठा प्रसाद स्वरूप खा रहे हैं।
भंडारे के आयोजक शंभू सैनी ने बताया कि बाबा शंभू भारती इस भंडारे को किया करते थे, लेकिन अब उनकी याद में इस कार्य को उनके भक्तजन कर रहे हैं। यहां रोजाना 250 किलो से अधिक से अधिक आटा, 250 किलो आलू, 70 किलो से अधिक का दूध, 25 किलो से अधिक देसी घी लग रहा है।
बता दें कि मंडी जिला स्थित नागचला को श्रृंगी ऋषि की तपोभूमि माना जाता है। विभांडक ऋषि के पुत्र और कश्यप ऋषि के पौत्र श्रृंगी ऋषि की तपोभूमि नागचला में पूरे विश्व के 12 शिवलिंग स्थापित हैं। यह मान्यता है कि ऋषि श्रृंगी ने यहां पर तप किया था।
अपनी तपस्या के समय में श्रृंगी ऋषि रोजाना सुबह स्नान करने के लिए रिवालसर जाते थे। एक दिन सुबह जब वह 2:00 बजे नहा रहे थे तभी लंलोम्बस ऋषि ने उनके यहां स्नान का कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि पवित्र जल और कहीं नहीं है इसलिए उन्हे यहां आकर स्नान करना पड़ता है।
उन्होंने श्रृंगी ऋषि को आशीर्वाद दिया कि जहां तुम्हारी तपोभूमि है वहीं पर ही रिवालसर का जल भी निकलेगा तभी से मान्यता है कि रिवालसर का पवित्र जल नागचला में निकलता है। नागचला शुरू से ऋषियों की भूमि रही है यहां पर नागा बाबाओं का वास रहा है।
शंभू भारती बाबा भी लंबे समय तक यहां रहे और यहीं पर उनके जीवन लीला समाप्त हुई। उनके भक्तजन आज भी उनकी याद में यहां पर आते हैं और मिलकर इस अटूट भंडारे का आयोजन करते हैं।