शिमला। हिमाचल प्रति टॉयलेट सीट शुल्क का मुद्दा गरमाया हुआ है। सोशल मीडिया पर लोग सरकार को घेर रहे हैं। वहीं, इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने आज नई दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत के दौरान हिमाचल प्रदेश में ‘शौचालय कर’ लगाए जाने के दावों को सिरे से खारिज कर दिया।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार का ऐसा कोई भी प्रस्ताव नहीं है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक लाभ लेने के लिए इस तरह की बेतुकी और आधारहीन बयानबाजी करने से परहेज किया जाना चाहिए।
पानी पर सब्सिडी का युक्तिकरण करते हुए वर्तमान प्रदेश सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति कनेक्शन 100 रुपये बिल का भुगतान तय किया है। वहीं, आर्थिक रूप से सक्षम परिवारों को प्रदेश के हित में पानी के बिल की अदायगी करने में कोई परेशानी नहीं है।
वहीं, हिमाचल प्रदेश के शहरी इलाकों में 25 रुपए प्रति सीट सीवरेज शुल्क लेने की अधिसूचना वापस ले ली है। प्रदेश सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार चंद शर्मा ने बताया कि 21 सितंबर को प्रदेश सरकार ने जल शक्ति विभाग से जुड़े विभिन्न शुल्क को लेकर एक विस्तृत अधिसूचना जारी की थी।
इसमें ग्रामीण इलाकों में पीने के पानी पर 100 शुल्क लेने को लेकर अधिसूचना जारी हुई थी और जिन इलाकों में सरकार सीवरेज कनेक्शन देती है, उन इलाकों में सीवरेज पर पानी के बिल का 30 प्रतिशत पहले से ही शुल्क लिया जाता है।
जल शक्ति विभाग के ध्यान में आया था कि कुछ होटल व अन्य संस्थान पानी अपना इस्तेमाल करते हैं, लेकिन सीवरेज कनेक्शन सरकार का है, ऐसे में उन पर 25 प्रति टॉयलेट सीट के हिसाब से शुल्क लगाने को लेकर नोटिफिकेशन जारी की गई थी।
जब नोटिफिकेशन प्रदेश सरकार में जल शक्ति विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री के पास गई तो उन्होंने 21 सितंबर को ही इसे विड्रॉल कर दिया था।