बीड़। विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण यानी SADA बीड़ बिलिंग के विरोध में शुक्रवार को स्थानीय फॉरेस्ट रेस्ट हाउस में एक बैठक हुई। इस बैठक में करीब 150 लोग शामिल रहे। भारी बारिश के बावजूद लोग इस बैठक में पहुंचे। सीपीएस और स्थानीय विधायक किशोरीलाल भी इस बैठक में पहुंचे और लोगों की समस्याएं सुनीं।
उन्होंने खुद इस विषय पर अभिज्ञता व्यक्त की कि कब यह नोटिफिकेशन जारी हो गई इसके बारे में उन्हें और स्थानीय पंचायतों तक को कोई भनक नहीं लगी।
स्थानीय लोगों ने ग्राम पंचायत प्रधानों के माध्यम से उन्हें ज्ञापन सौंपे जिस पर सीपीएस ने उन्हें विश्वास दिलाया कि वह शिमला जाकर मुख्यमंत्री से 30 अगस्त तक इस विषय में बात करेंगे और विभाग के सेक्रेटरी से इस विषय पर जवाब तलब किया जाएगा कि किस प्रकार लोगों की जानकारी के बिना उनके ऊपर कानून थोप दिया गया।
बता दें कि हाल ही में बीड़ बिलिंग में विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण का दायरा बढ़ाकर उसमें गुनेहड के बचे हुए मुहाल, भट्टू पंचायत और संसाल पंचायत के भारग मुहाल को मिला दिया गया है। इससे लोगों में नाराजगी बहुत अधिक बढ़ गई है। नए मिले क्षेत्र के लोग आग बबूला हैं कि उन्हें खबर तक नहीं दी गई और उन्हें एक कानून के अंतर्गत थोप दिया गया है।
दूसरी ओर पहले से ही SADA के विरोध में चल रही चारों पंचायतों के लोगों ने भी लामबंदी शुरू कर दी थी जिससे अब लोगों का यह विरोध आंदोलन की ओर अग्रसर होता दिख रहा है। इस विषय में आज की बैठक में रणनीति बनाते हुए यह फैसला लिया गया कि सीपीएस के जवाब का इंतजार किया जाएगा और उसके बाद 8 सितंबर को स्थानीय स्मृति सदन में सभी पंचायतों की एक बड़ी बैठक आयोजित की जाएगी।
इसमें कोशिश होगी कि हर घर से एक व्यक्ति कम से कम पहुंचे। उसी दिन इस संघर्ष को क्या रूप देना है उस विषय में रूपरेखा और कमेटी का गठन भी किया जाएगा। इसी साथ ही इस मुद्दे पर कानूनी कार्रवाई किस प्रकार की जाएगी यह फैसला भी उसी दिन किया जाएगा।
बता दें कि लोगों द्वारा अब इस मसले को हाई कोर्ट ले जाने का फैसला कर लिया गया है। लोगों का आक्रोश दिनों दिन बढ़ रहा है। विभाग के लोग जानबूझकर मामलों को अटकाते हैं और कई महीने तक जवाब नहीं आता। लोगों की परेशानी बढ़ रही है और जो लोग कुछ कंस्ट्रक्शन करना चाहते हैं वह दिनों दिन बढ़ती महंगाई का शिकार होकर अपना आधा काम भी नहीं करवा पा रहे हैं।
विकास के नाम पर इस प्राधिकरण द्वारा यहां पर लोगों से इकट्ठा किया हुआ पैसा कहां खर्च किया जाता है यह तक नहीं बताया जाता। मात्र कुछ सोलर लाइट लगवाने के अलावा SADA द्वारा आज तक यहां पर कुछ भी खर्च नहीं किया गया है।
जबकि हर वर्ष कमर्शियल प्रॉपर्टी बनाने के नाम पर करोड़ों की फीस ही इकट्ठी की जाती है, साथ ही चुंगी लगाकर लगभग 20 से 25 लाख रुपए हर वर्ष एकत्र होते हैं। ऐसे में अब लोग इस ज्यादती के विरुद्ध खड़े हो गए हैं और यह लड़ाई अब तभी खत्म होगी जब लोगों को इंसाफ मिल जाएगा।