शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने पहली कक्षा में दाखिले को लेकर दायर की गई जनहित याचिका में एक अहम फैसला सुनाया है।
चीफ जस्टिस राजीव शकदर और सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने सरकार और स्कूलों को आदेश जारी करते हुए कहा है कि मौजूदा शैक्षणिक सत्र में 6 साल से कम आयु के बच्चों को पहली कक्षा में दाखिला दिया जाए।
अभिभावकों ने कोर्ट केस फैसले से राहत की सांस ली है। इससे अब पांच साल से ऊपर का बच्चा जो पहली कक्षा में जाने के लिए पात्र है, उसका दाखिला नहीं रुकेगा।
याचिकाकर्ता के वकील सुमन ठाकुर ने बताया कि सरकार ने 6 साल से कम आयु के बच्चों को प्रमोट करने से मना कर दिया था। इसके लिए नई शिक्षा नीति का हवाला दिया था।
अभिभावकों ने सरकार के समक्ष भी अपनी बात रखी, जब बात नहीं सुनी गई तो हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई। मामले में बुधवार को कोर्ट का फैसला आया है। इसमें हिमाचल के करीब 50 हजार बच्चों को राहत मिली है।
कोर्ट ने सारी बातों को माना और इस बात का संज्ञान लिया कि जो बच्चा पहले से एजुकेशन सिस्टम में एनरोल्ड है आप उसको रोक नहीं सकते हैं। अगर आप बच्चे को पहली कक्षा में दाखिले से रोक रहे हैं तो बच्चे के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन कर रहे हैं। साथ ही नई शिक्षा के नियमों का भी उल्लंघन है।
कोर्ट का कहना है कि एक तरफ तो सरकार नई शिक्षा नीति लागू करने के लिए तैयार नहीं है, दूसरी तरफ सरकार कहती है कि उसे पॉलिसी इसी साल लागू करनी है। नई शिक्षा नीति के तहत इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार होना चाहिए और शिक्षकों की नियुक्ति होनी चाहिए। मिड डे मील प्री प्राइमरी में शुरू होनी चाहिए, आप उसे लागू करो, इसके बाद सरकार इस पॉलिसी को लागू करे।
अब यह फैसला आया है। फैसले में आदेश दिए गए हैं कि जो भी बच्चा 6 साल से कम आयु का है, उसे पहली कक्षा में प्रमोट किया जाएगा। अब ऐसे बस बच्चे पहली कक्षा में प्रमोट हो जाएंगे। इससे बच्चों का एक साल भी बच्चा है और अभिभावकों पर पड़ने वाला वित्तीय बोझ भी बचा है।