धर्मशाला। हिमाचल प्रदेश विधानसभा में कर्मचारियों की भर्ती और सेवा शर्तों से जुड़े विधेयक को पारित कर दिया गया है। विपक्ष के भारी विरोध के बावजूद इसे पारित कर दिया। विधेयक पर चर्चा के दौरान सदन में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक हुई।
संशोधन विधेयक में नियमित और अनुबंध कर्मचारियों की सेवा शर्तों को अलग किया गया है। चर्चा का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि कुछ कर्मचारी कोर्ट जाकर अपने कांट्रेक्ट पीरियड को रेगुलर करने की बात करते हैं।
कोर्ट द्वारा यह निर्णय दिया जाता है कि जिस तारीख से इन्होंने ज्वाइनिंग की है, उस तारीख से उन्हें रेगुलर लाभ दिए जाएं। इससे कांट्रेक्ट पॉलिसी का कोई महत्व नहीं रह गया है। यह उस समय की एक गलती थी, यह एक्ट का एक सेक्शन था, जिसमें लिखा गया था कि रेग्युलर/कांट्रेक्ट एंप्लॉई। उस गलती को मिटाते के लिए कांट्रेक्ट शब्द को हटाना चाह रहे हैं।
इस कांट्रेक्ट शब्द से क्या होगा कि रेग्युलर कर्मचारियों को डिमोट करना पड़ सकता है। जब कांट्रेक्ट साइन करते हैं तो उसमें लिखा होता है कि मैं इस कांट्रेक्ट को 2-3 साल के साइन कर रहा हूं। वर्ष 2003 से कांट्रेक्ट पॉलिसी चल रही है। अगर वर्ष 2003 से उन सभी को नियमित करने लग जाएं तो उन्हें प्रमोशन भी देना पड़ेगा और अन्य लाभ भी देने पड़ेंगे।
इन सभी बातों को ध्यान में रखकर इस बिल को लाया गया है और जो गलती है, उसे ठीक किया गया है। इसके माध्यम से अभी कुछ कर्मचारियों ने कोर्ट के माध्यम से जबरदस्ती एरियर लेने की कोशिश की है और वे एरियर ले भी गए हैं।
उसी को आधार मानकर अन्य कर्मचारी भी कोर्ट जा सकते हैं। जो लाखों कर्मचारी लगे हैं, क्या उन्हें डिमोट करना है? यह भी सोचने का विषय है। इस बिल में कांट्रेक्ट को स्पेसिफाई किया गया है।