रेखा चंदेल/झंडूता। नॉप्स पब्लिक स्कूल, घुमारवीं में नशा बन चुका चुनौती विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। स्कूल में शिक्षा ग्रहण कर रहे बच्चे एवं स्कूल में कार्यरत स्टाफ के साथ भी विस्तृत चर्चा हुई । नशा आज माँ-बाप से लेकर शैक्षणिक संस्थानों के लिए भी चुनौती बन चुका है । नशे में ग्रसित बच्चों, युवाओं, लड़कियों को इधर उधर भटकते हुए सरे आम देखा जा सकता है ।
सभी नशे की चपेट में आ रहे हैं, कारण क्या रहे होंगे, आने वाली पीढ़ी नशे की तरफ क्यों जा रही है, ये आज के समय में बहुत ही चिंतनीय विषय है । नशे की रोकथाम पर जितने अधिक प्रयास किये जा रहे हैं नशे का प्रचलन उतना ही अधिक बढ़ता जा रहा है । आने वाले समय मे नशे की रोकथाम करना भी मुश्किल हो जायेगा । अभाव और नतीजे सामने भी आ ही रहे हैं ।
जीवन की भाग दौड़ अभिवावकों का नियंत्रण कम हो चुका । बच्चे भी अन्य साधनों पर निर्भर हो चुके हैं । मोबाइल का प्रचलन बहुत बढ़ चुका है । मोबाइल पर बहुत सी जानकारियां आसानी से उपलब्ध हैं । बच्चे मोबाइल से भी नकारात्मक जानकारियां प्राप्त कर रहे हैं । समय और बच्चों के हालात को देखते हुए । अभिवावकों को स्वयं भी जागरूक होने की आवश्यकता है ।
मुख्य वक्ता डॉक्टर राजकुमारी साइकोलॉजिस्ट ने बताया कि नशे के क्या दुष्परिणाम हो सकते हैं । शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है । नशे से कैसे बचा जा सकता है । उन्होंने इन विषयों पर विस्तृत रूप से जानकारी प्रदान की । नशा एक विकराल समस्या बन चुका है । स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों भी इस चपेट मे आ रहे है । नशे के दुष्प्रभाव शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक, सामाजिक, पारिवारिक परिस्थिति और आर्थिक तौर पर हो रहा है ।
कहीं ना कहीं कमी संस्कारों की भी है । संस्कारों को भूलते जा रहे हैं । बच्चों में सहनशीलता, धैर्य और अनुशासन का भी अभाव । माता-पिता के साथ साथ आज शिक्षक भी ये सोचने पर मजबूर हो रहे हैं । बच्चों को नशे से कैसे छुटकारा दिलवाया जाये । हिमाचल जैसे छोटे से प्रदेश मे नशा मकड़ी के जाल की तरह से फैलता जा रहा है । समय रहते अगर इस पर काबू नहीं पाया गया । बच्चों को भी धीरे धीरे नशा खोखला कर देगा । बच्चों को सही मार्गदर्शन और जानकारी की भी आवश्यकता है ।
डॉ राजकुमारी ने शिक्षकों से भी आग्रह किया । समय समय पर बच्चों की सामूहिक काउंसलिंग करवाई जाए । बच्चे खुद भी नशा ना करे । अगर नशा करते बच्चे उनके संज्ञान और सम्पर्क मे हो । ऐसे बच्चों की जानकारी प्रदान करे । परामर्श के माध्यम से भी बच्चों को नशा छोड़ने के लिए प्रेरित किया जा सके ।
नशे से ग्रसित बच्चे अपने जीवन को भी धीरे धीरे खत्म कर रहे हैं । घर परिवार, बरबादी की तरफ जा रहे है । नशे का प्रभाव आस पास के वातावरण पर भी हो रहा है । नशा एक धीमा जहर है । जो धीरे धीरे नासूर बन कर आने वाली पीढ़ी को बर्बाद कर रहा है । नशे से ग्रस्त बच्चों का मार्गदर्शन और बच्चों को परामर्श के माध्यम से निजात दिलवाई जाए ।
बच्चों को पोक्सो एक्ट की जानकारी भी प्रदान की गई । बहुत से केस स्कूलों से भी निकल कर आ रहे हैं । आये दिन सोशल मीडिया और खबरों में होते हैं। बच्चे अपना कैसे बचाव कर सकते हैं । बच्चों मे जागरूकता का होना जरूरी है । स्कूल की प्रधानाचार्य नीलम शर्मा, शिक्षक वर्ग, स्टाफ व स्कूल मे पढ़ने सभी विद्यार्थी कार्यशाला के दौरान उपस्थिति रहे ।