शिमला। हिमाचल के शिमला में संजौली मस्जिद के खिलाफ लोग सड़कों पर उतरे। इस मौके पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात था।
प्रदर्शनकारियों को संजौली की तरफ बढ़ने से रोकने के लिए पुलिस ने पानी की बौछारें की और हल्के बल का प्रयोग भी किया। ऐसे में कुछ घंटों तक शिमला शहर में माहौल तनावपूर्ण रहा।
काफी मशक्कत के बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हटाकर स्थिति को काबू किया।
वहीं, पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने मामले को लेकर मीडिया से बातचीत में कहा कि सरकार ने मस्जिद मामले में कड़ा संज्ञान लिया है।
उन्होंने कहा कि सरकार कानून के प्रावधानों और नियमों के तहत आगे बढ़ रही है। मामला एमसी कोर्ट (नगर निगम शिमला कोर्ट) में विचाराधीन है।
एमसी कोर्ट से फैसला आने पर सरकार उसे लागू करेगी। अगर मस्जिद का निर्माण अवैध पाया जाता है, तो उसे गिराया जाएगा। पर इससे पहले हमें कानून के दायरे में काम करते हुए आगे बढ़ना होगा।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भी मंगलवार को हिमाचल विधानसभा के सदन में कमेटी गठित करने की बात कही है।
उन्होंने कहा कि शिमला सहित हिमाचल में बाहरी राज्यों से काफी लोग रोजगार की तलाश में आते हैं।
हम उन्हें आने से रोक नहीं सकते हैं, लेकिन राज्य की आंतरिक सुरक्षा के लिए कोई कानून बनाने पर विचार किया जा सकता है।
इसी को लेकर कमेटी का गठन होगा। इसमें कांग्रेस के नहीं विपक्ष के विधायकों को भी शामिल किया जाएगा। कमेटी पूरे मामले का अध्ययन करेगी और अपने सुझाव देगी, जिस पर सरकार काम करेगी।
विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि मस्जिद का मामला पिछले करीब 10 साल से एमसी कोर्ट में चल रहा है। इससे पहले हिमाचल भाजपा की सरकार भी रही है।
नगर निगम में मेयर भी भाजपा के रहे हैं। मैं मुद्दे पर राजनीति नहीं करना चाहता हूं, लेकिन एक बात जरूर बताना चाहूंगा कि धर्मांतरण को लेकर कानून बनाने वाला हिमाचल पहला राज्य है, जोकि कागजों में भी दर्ज है।
धर्मांतरण को लेकर कानून पूर्व में स्वर्गीय वीरभद्र सिंह की अगुवाई में सत्ता में रही कांग्रेस सरकार ने बनाया था।
विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि हिंदू संगठनों की भावनाओं को सरकार समझती है और शांतिप्रिय प्रदर्शन करने का सभी को अधिकार है, लेकिन कानून व्यवस्था से खिलवाड़ की किसी को भी इजाजत नहीं है।
पार्टी हाईकमान भी इस मामले को लेकर सरकार से फीडबैक ले रही है।