ऋषि महाजन/नूरपुर। एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (असर) 2024 के आंकड़ों के अनुसार हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों के छात्रों का रीडिंग लेवल (पढ़ने का स्तर) देशभर में पहले नंबर पर आंका गया है। शिक्षा क्षेत्र के लिए यह सुखद और अच्छी बात है पर शायद जश्न मनाने लायक नहीं है।
क्योंकि हिमाचल के सरकारी स्कूलों में छात्रों की कम संख्या सबसे बड़ा मुद्दा है। अगर स्कूलों में छात्र ही नहीं होंगे तो रीडिंग करेगा कौन। साल दर साल कम होती संख्या चिंता का सबब बनी है। हालत यहां तक पहुंच चुके हैं कि स्कूलों में बच्चों की कम होती संख्या से शिक्षा के मंदिरों में ताला लगने की नौबत आ गई है।
हाल ही में सरकार को कम संख्या वाले कुछ स्कूल बंद करने पड़े हैं या फिर मर्ज करने पड़े हैं। विशेषज्ञों की मानें तो सरकारी स्कूलों में टीचर अच्छे हैं तो प्राइवेट स्कूलों में इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर है। साथ ही किसी क्षेत्र में ज्यादा निजी स्कूल खुलना भी सरकारी स्कूलों में छात्रों की कम संख्या का कारण है। वहीं, अभिभावकों की मानें तो सरकारी स्कूलों में छात्रों की न तो केयर होती है और न ही सेफ्टी है। सब चीजों के साथ बच्चे की सेफ्टी भी जरूरी है।
कांगड़ा जिला के नूरपुर ब्लॉक में 81 प्राइमरी स्कूल हैं। इन स्कूलों में कुल 175 शिक्षक हैं। इसमें 16 सेंटर हेड टीचर, 35 हेड टीचर और 124 जेबीटी हैं। 81 स्कूलों में 53 में चपरासी नहीं है। 28 में ही चपरासी हैं।
ब्लॉक के प्राइमरी स्कूलों में 2016-2017 में 3757, 2022-23 में 2935, 2023-2024 में 2541 और 2024-25 में 2106 छात्र हैं। इसमें 2016-17 में 1794 लड़के, 1963 लड़कियां, 22-23 में 1491 लड़के, 1444 लड़कियां, 2023-24 में लड़के 1285, लड़कियां 1256 और 2024-25 में लड़के 1067 और लड़कियां 1039 हैं।
नूरपुर ब्लॉक के पांच स्कूलों में 10 से कम छात्र हैं। प्राथमिक पाठशाला भटका में 7 छात्र और एक टीचर, बान में 9 छात्र और 1 टीचर, कुखेड़ में 6 छात्र और 2 टीचर, घाटी धार में 9 छात्र और 1 टीचर व चंद्राहण में 6 छात्र और 1 टीचर है। इन स्कूलों पर बंद होने या फिर मर्ज होने की तलवार लटकी हुई है।
सरकारी स्कूलों में छात्रों को फ्री किताबें, वर्दी, स्कॉलरशिप की सुविधाएं मिलती हैं। साथ ही कुछ स्कूलों में स्मार्ट क्लासरूम भी स्थापित हैं। अभी 37 स्कूलों में एलईडी लगाई गई हैं। इसके अलावा खेल का सामान और योग की फ्री क्लासें भी स्कूलों में लगती हैं।
डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर वोकेशनल एजुकेशन हंसराज ने कहा कि सरकारी स्कूलों में इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर नहीं होना मुख्य कारण माना जा सकता है। अभिभावक चाहते हैं कि उनके बच्चों को बैठने का सही स्थान मिले। वहीं, सरकारी स्कूलों में बाथरूम सही नहीं होते हैं। हालांकि, सरकारी स्कूलों में टीचर अच्छे होते हैं।
रिटायर प्रिंसिपल अर्चना महाजन ने कहा कि जिन क्षेत्रों में प्राइवेट स्कूल ज्यादा है, वहां के सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या कम हैं। जहां प्राइवेट स्कूल कम हैं या न क बराबर हैं वहां संख्या अधिक है। वहीं दूसरा कारण है कि प्राइवेट स्कूल में 3 प्लस के छात्र का दाखिला हो जाता है।
सरकारी स्कूलों में 4 प्लस या 5 प्लस बच्चे लिए जाते हैं। अभिभावक चाहते हैं कि उनका बच्चा जल्दी स्कूल जाए। कुछ प्राइमरी स्कूलों में टीचर की भी कमी है। अगर टीचर नहीं होंगे तो लोग बच्चों को स्कूल में क्यों दाखिल करेंगे। इसके अलावा सरकारी स्कूलों में टीचर क्वालिफाई और अच्छे होते हैं तो प्राइवेट स्कूलों में इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर है।
अभिभावक रमेश चंद ने कहा कि सरकारी स्कूल में न पढ़ाई और न ही सेफ्टी होती है। प्राइवेट स्कूल में सेफ्टी और पढ़ाई दोनों होती है। बच्चे को घर ले जाया जाता है और घर में छोड़ा जाता है। सरकारी स्कूल में बच्चे लड़ते झगड़ते रहते हैं और टीचर ध्यान नहीं देते हैं।
उन्होंने कहा कि फायदे के साथ बच्चे की सेफ्टी भी जरूरी है। सुल्तान अहमद का कहना है कि सरकारी स्कूल में केयर नहीं होती और प्राइवेट में होती है। टीचर मनमर्जी करते हैं, पढ़ाई नहीं करवाते, इसलिए हमने बच्चे निजी स्कूल में डाले हैं।
खंड प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी अजय कुमार सहोत्रा ने कहा कि सरकारी प्राइमरी स्कूल अच्छे हैं। वहां पर टीचर अच्छे हैं, लेकिन कुछ साल से लोगों में बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में डालने की होड़ चली है। अभिभावक सोचते हैं कि पता नहीं प्राइवेट स्कूलों में पढ़कर उनका बच्चा ऑफिसर बन जाएगा।
वहीं, अगर किसी एक परिवार में किसी का बच्चा प्राइवेट स्कूल में जा रहा है तो दूसरा भी सोचता कि उनका बच्चा भी प्राइवेट स्कूल में पढ़े। उन्होंने कहा कि सरकार स्कूलों में सरकार द्वारा बेहतर सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। स्मार्ट क्लासें चल रही हैं और छात्र अच्छे तरीके शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। फ्री वर्दी, किताबें, खेलने का सामान और स्कॉलरशिप छात्रों को मिल रही है।
उन्होंने कहा कि सभी वर्ग की लड़कियों को फ्री वर्दी मिल रही है। छात्रों में विशेष वर्ग के छात्रों को यह सुविधा मिल रही है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि सभी छात्रों को फ्री वर्दी की सुविधा मुहैया करवाई जाए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर आदि के प्रयासों से हिमाचल शिक्षा में हिमाचल 21वें स्थान से पहले स्थान पर आ गया है।
उन्होंने लोगों अपील की है कि नए सेंशन में बच्चों को सरकारी स्कूल में डालें। प्राइवेट स्कूल में ही पढ़ाने की धारणा से बाहर निकलें। जैसे अभिभावक निजी स्कूलों में टीचर से पूछते हैं तो वे सरकारी स्कूलों में भी आकर शिक्षक से पूछ सकते हैं कि उनका बच्चा किस तरह पढ़ाई कर रहा है।