शिमला। हिमाचल प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग ने एचआईवी के सक्रिय मामलों को लेकर जो आंकड़ा जारी किया है वो चिंताजनक है। एचआईवी एड्स के सक्रिय मामलों में जिला कांगड़ा प्रदेश में पहले स्थान पर है। अकेले कांगड़ा जिले में मौजूदा समय में 1,576 लोग एचआईवी संक्रमण के साथ जी रहे हैं।
इसके अलावा 1037 लोगों के साथ हमीरपुर दूसरे स्थान पर है। वहीं, प्रदेश भर में 5,657 लोग हैं, जो एचआईवी संक्रमण के साथ जी रहे हैं। कुल मामलों में से 26.61 फीसदी मामले केवल कांगड़ा जिले से संबंधित हैं।
कुल आंकड़ों की बात करें तो बिलासपुर में 449, चंबा 157, हमीरपुर में 1,037, किन्नौर में 29, लाहौल-स्पीति में 10, कांगड़ा में 1576 , कुल्लू में 234 , मंडी में 772 , शिमला में 316, सिरमौर में 121 में सोलन में 290, ऊना में 666 केस सामने आए हैं।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार सबसे अधिक मामले युवाओं में पाए जा रहे हैं। प्रदेश में 28 से 45 आयु के लोग इस बीमारी से ज्यादा ग्रसित हैं। इसका मुख्य कारण असुरक्षित यौन संबंध और सुई से नशा करना बताया जा रहा है।
प्रदेश में सुई से लिए जाने वाले नशे के कारण भी एचआईवी के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। एक ही सुई को एक से अधिक युवा नशे के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे एचआईवी के साथ हेपिटाइटिस बी और सी के मामले भी बढ़ रहे हैं।
अचानक से प्रदेश में बढ़ने नशे के प्रचलन के कारण समाज के साथ स्वास्थ्य विभाग भी चिंतित है। पिछले साल जिला कांगड़ा में अकेले नूरपुर क्षेत्र में काला पीलिया के 34 के करीब मामले जांच में सामने आए थे, जिसका मुख्य कारण सुई के जरिये नशा लेना था।
जानकारी के अनुसार हिमाचल में 1990 के दशक में एचआईवी का पहला मामला हमीरपुर जिले से सामने आया था। इसके बाद एचआईवी धीरे-धीरे प्रदेश के बाकी हिस्सों में भी पैर पसारने लगा।
उस समय प्रदेश में एड्स कंट्रोल सोसाइटी अस्तित्व में आई थी। हालांकि स्वास्थ्य विभाग की ओर से समय-समय पर एचआईवी के प्रति जागरुकता के लिए काफी कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है, लेकिन फिर भी जांच कम होने से एचआईवी संक्रमण की बढ़ती समस्या का सही से पता नहीं चल पा रहा है।
जिला स्वास्थ्य अधिकारी स्वास्थ्य विभाग डॉ. राजेश सूद का कहना है कि प्रदेश भर में जल्द दो माह का एचआईवी एड्स जागरूकता अभियान चलाया जाएगा, विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से लोगों को जागरूक करने के साथ एचआईवी जांच करवाने के लिए प्रेरित किया जाएगा।