ऋषि महाजन/नूरपुर। लोकसभा चुनाव मतदान से पहले कांगड़ा जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष करण पठानिया ने कांगड़ा-चंबा संसदीय क्षेत्र भाजपा प्रत्याशी और केसीसी बैंक के चेयरमैन डॉ राजीव भारद्वाज पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
पूर्व विधायक अजय महाजन और करनैल सिंह की उपस्थिति में नूरपुर में प्रेसवार्ता में करण पठानिया ने आरोप लगाया कि राजीव भारद्वाज की अध्यक्षता में गठित केसीसी बैंक के बोर्ड ने एक व्यक्ति को नियमों और शर्तों को दरकिनार करते हुए 20 करोड़ का लोन दे दिया।
यह लोन एक होटल बनाने के लिए लिया गया था। न तो लोन के पैसे बैंक को वापस आ सके और न ही होटल की एक ईंट भी लग सकी। वहीं, उन्होंने आरोल लगाया कि इस लोन में 15 लाख रुपए पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार के ट्रस्ट को दिए गए हैं।
कांगड़ा जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष करण पठानिया ने कहा कि कांगड़ा-चंबा संसदीय क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी राजीव भारद्वाज ट्रांसपोर्ट विभाग के वाइस चेयरमैन रहे। इसके बाद उन्हें केसीसी बैंक का चेयरमैन बनाया गया।
वह पांच साल में एक भी नई ब्रांच नहीं खुलवा पाए और न ही भर्तियां कर पाए। बैंक की ब्रांच के यह हाल है कि दो और तीन कर्मचारियों से काम चलाया जा रहा है। साथ ही कहीं पर तो चपरासी कैशियर का कार्य कर रहे हैं। बैंक बंद होने की कगार पर पहुंच गया है।
वहीं, एक व्यक्ति 2019 में होटल के लिए 47 करोड़ रुपए का लोन लेना चाहते थे। उन्होंने लोन का केस बैंक के बोर्ड के समक्ष रखा, लेकिन नियम और शर्ते पूरी न होने के चलते बोर्ड ने उनका आवेदन अस्वीकार कर दिया।
इसके बाद बोर्ड भंग हो गया और राजीव भारद्वाज की अगुवाई में नए बोर्ड का गठन हुआ। बोर्ड ने उक्त व्यक्ति को 2019 में 20 करोड़ का लोन मंजूर कर दिया। लोन नियम और शर्तों को दरकिनार करते हुए दिया गया। क्योंकि किसी को भी 20 करोड़ का लोन एक साथ नहीं दिया जा सकता है। उस लोन के पैसे से एक भी इंट नहीं लगी।
फिर जब लंबे अरसे के बाद जब पैसा वापस नहीं आया तो बैंक ने कार्रवाई शुरू की। आरसीएस ने फैसला लिया कि या तो लोन के वक्त रखी प्रॉपर्टी को बेच कर पैसा वापस किया जाए या जिस बोर्ड ने लोन मंजूर किया है, उसकी जिम्मेदारी बनती है लोन वापसी की। पर आज दिन तक बैंक का वह पैसा डूबा हुआ है।
करण पठानिया के अनुसार उन्हें यह भी पता चला कि उस 20 करोड़ रुपए के लोन में 15 लाख पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार के ट्रस्ट को दिया गया है। वहीं, करण पठानिया ने कहा कि जसूर में केसीसी बैंक की ब्रांच थी। पहले ब्रांच का किराया 5 हजार 300 रुपए था।
जब राजीव भारद्वाज केसीसी बैंक के चेयरमैन बने तो किराया 28 हजार रुपए कर दिया गया। उस समय खूब हल्ला भी हुआ। उस वक्त राजीव भारद्वाज ने तर्क दिया था कि भवन उनके भाई का है। करण पठानिया ने सवाल किया है कि जमीन फोरलेन में आने के बाद क्या राजीव भारद्वाज ने उसका मुआवजा नहीं लिया है।